Kisan Andolan: फरवरी 2024 से खनौरी और शंभू बॉर्डर पर पंजाब के किसान अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। किसानों के नेताओं ने सरकार से टकराव के बीच सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी से बातचीत से इनकार कर दिया था लेकिन अब पंजाब सरकार ने सर्वोच्च अदालत में बताया है कि किसान कमेटी से बातचीत के लिए पूरी तरह तैयार है।
पंजाब सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एनके सिंह की पीठ को बताया कि किसान सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित उच्च स्तरीय कमेटी से बातचीत के लिए तैयार हो गए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि कोई समाधान हो सके।
अनशन पर बैठे हैं जगजीत सिंह डल्लेवाल
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने खनौरी सीमा पर भूख हड़ताल पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने के राज्य सरकार को दिए गए निर्देशों के अनुपालन से संबंधित याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी।
कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि किसी तरह हम प्रदर्शनकारी लोगों को आज दोपहर 3 बजे जस्टिस नवाब सिंह से मिलने के लिए राजी करने में सफल रहे हैं। हमें उम्मीद है कि कोई सफलता मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने क्यों पंजाब और हरियाणा को दिया 5 करोड़ का बिल?
समाधान के लिए बनाई गई कमेटी
हरियाणा द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने 2 सितंबर, 2024 को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) नवाब सिंह की अध्यक्षता में एक तटस्थ उच्चस्तरीय समिति का गठन किया, ताकि दोनों राज्यों के बीच शंभू सीमा पर विरोध कर रहे किसानों से बात की जा सके और एक सौहार्दपूर्ण समाधान निकाला जा सके।
इस बीच, 26 नवंबर, 2024 को डल्लेवाल ने खनौरी सीमा पर आमरण अनशन शुरू कर दिया, जिसमें मांग की गई कि केंद्र फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्यों की वैधानिक गारंटी सहित किसानों की मांगों को स्वीकार करे।
पंजाब सरकार ने किया था आवेदन
20 दिसंबर 2024 को शंभू बॉर्डर को फिर से खोलने से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों से कहा कि यदि आवश्यक हो तो डल्लेवाल को अस्पताल ले जाया जाए, जो कैंसर के मरीज हैं और उन्हें अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हैं। इसके बाद पंजाब सरकार पर 20 दिसंबर के आदेश का पालन न करने का आरोप लगाते हुए और राज्य के मुख्य सचिव के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही की मांग करते हुए अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर किया गया।
पंजाब बंद में के चलते लोगों को हुई काफी समस्या
अवमानना याचिका पर 28 दिसंबर, 2024 को सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि वह डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने के अपने आदेश के अनुपालन के लिए पंजाब सरकार द्वारा किए गए प्रयासों से संतुष्ट नहीं है। जब राज्य सरकार ने कानून-व्यवस्था भंग होने की आशंका का हवाला देते हुए अपनी लाचारी जाहिर की, तो अदालत ने कड़ी फटकार लगाते हुए टिप्पणी की कि राज्य की कार्रवाई आत्महत्या को उकसाने के समान है।
अवमानना याचिका की सुनवाई की आखिरी तारीख 2 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर पंजाब सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि राज्य सरकार का रवैया सुलह के खिलाफ है और उसके अधिकारी गलत धारणा फैला रहे हैं कि कोर्ट दल्लेवाल को अनशन तोड़ने से रोकने की कोशिश कर रहा है। कोर्ट ने दल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने के निर्देश का पालन करने के लिए राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई की समीक्षा के लिए 6 जनवरी की तारीख भी तय की। किसान आंदोलन से जुड़ी अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।