Farmers Protest News: किसान संगठनों ने चौथे दौर की वार्ता के दौरान केंद्र सरकार द्वारा दिए प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। किसान नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार के प्रस्ताव में स्पष्टता नहीं है। शंभू बॉर्डर पर हुई प्रेस कांफ्रेंस में किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि हम 5 साल के लिए एमएसपी पर दलहन, मक्का, कपास की खरीद के केंद्र के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हैं।
इसके साथ ही किसान नेताओं से सरकार से 23 फसलों पर MSP लागू करने की डिमांड की है। किसान नेताओं ने कहा कि अगर दो दिन में उनकी मांग नहीं मानी गईं तो वो 21 फरवरी को सुबह 11 बजे दिल्ली की तरफ कूच करेंगे।
किसान संगठनों ने क्यों रिजेक्ट किया सरकार का प्रस्ताव?
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि मीटिंग में जो प्रस्ताव हमारे सामने रखा गया था और मंत्री महोदय ने जो बाहर आकर बताया उसमें बहुत फर्क था। उस पर बिना सोचे हम निर्णय करते यह अच्छा नहीं था।
उन्होंने कहा कि मीटिंग में तो यह प्रस्ताव था कि इन पांच फसलों पर पूरे भारतवर्ष में खरीदी की जाएगी। जब मंत्री महोदय बाहर आकर बोले तब वह बात क्लियर हुई कि असल में मंशा तो क्या है। इस समय केंद्र की नियत सबके सामने आ गई है कि केंद्र वार्ता में कुछ और बात कहता है और बाहर निकाल कर प्रेस कॉन्फ्रेंस में और कोई बात करता है। इसलिए हमारा इस पर सोचना जरूरी था।
उन्होंने कहा, “मंत्री जी का बयान हमने आराम से सुना, स्टडी की और सभी से बात करके इसको रद्द कर दिया।” इस दौरान उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसान संगठनों की तरफ से सरकार को भी प्रस्ताव नहीं दिया गया था।
पंजाब पर लगाया केंद्र से मिले होने का आरोप
इस दौरान किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने पंजाब सरकार और मोदी सरकार पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए इंटरनेट बंद करने पर कहा कि हम पंजाब सरकार से भी स्पष्ट करेंगे कि आपके डीसी ने केंद्र के कहने पर लिख कर दिया है अथवा पंजाब सरकार का निर्णय है।
उन्होंने आगे कहा कि अभी तक पंजाब सरकार ने स्पष्ट नहीं किया है, यह जो पुल है अगर यह पंजाब में आ रहा है तो आप इसका विरोध क्यों नहीं कर रहे हो। आप बोलते हैं हम लीगल नक्शा लेंगे तो ले लीजिए या आपका यह ऑपरेशन हरियाणा के साथ मिलकर चल रहा है इसे स्पष्ट कीजिए कि क्या हो रहा है।
सरवन सिंह पंधेर ने आगे कहा, “हम पंजाब सरकार से भी मांग करते हैं जो हमने बातें उठाई उनका स्पष्ट कर दीजिए, पंजाब में इंटरनेट बंद नहीं होना चाहिए। मुझे नहीं लगता केंद्र सरकार के पास इतने अधिकार हैं। अगर स्टेट गवर्नमेंट को पूछे बिना उसका इंटरनेट बंद कर दिया जाए… बच्चों की पढ़ाई… स्कूलों में पेपर हो रहे हैं इसके लिए कौन जिम्मेदार है।”
सुप्रीम कोर्ट से की मामले का स्वत: संज्ञान लेने की अपील
जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि जिस समय सीएम साहब को मीटिंग में बैठाया गया, उसकी वजह यही थी कि आप हमारी स्टेट का मुख्यमंत्री हैं, यहां आपके लोग बैठे हुए हैं और आपकी स्टेट के आगे दूसरी स्टेट बैरिकेडिंग करके बैठी है। आपकी स्टेट में बैठे हुए लोगों पर आंसू गैस के गोले दागे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नोटिस लेंगे लेकिन आज तक कोई नोटिस नहीं लिया गया।
डल्लेवाल ने आगे कहा कि शंभू बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस द्वारा आंसू गैसे के गोले दागे जाने पर सुप्रीम कोर्ट को तुरंत प्रभाव से स्वत: संज्ञान लेते हुए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, पूरे देश के लोगों को अधिकार है… शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने का, अगर शांतिपूर्वक प्रदर्शन नहीं करने देंगे तो इसका मतलब देश को खतरा है।
सरकार ने किसानों को क्या प्रस्ताव दिया था?
रविवार को किसान संगठनों के साथ बातचीत में तीन केंद्रीय मंत्रियों की एक समिति ने दाल, मक्का और कपास सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीदने के लिए पांच वर्षीय समझौते का प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव को पहले SKM ने खारिज किया, बाद में इस बाद किसान आंदोलन लीड कर रहे नेताओं ने भी इसे अस्वीकार कर दिया।
रविवार रात चौथे दौर की बातचीत के बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, “राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ जैसी सहकारी समितियां ‘अरहर दाल’, ‘उड़द दाल’, ‘मसूर दाल’ या मक्का का उत्पादन करने वाले किसानों के साथ एक अनुबंध करेंगी ताकि उनकी फसल को अगले पांच साल तक एमएसपी पर खरीदा जाए।”
उन्होंने कहा था, “खरीद की मात्रा की कोई सीमा नहीं होगी और इसके लिए एक पोर्टल विकसित किया जाएगा।” गोयल ने यह भी प्रस्ताव दिया था कि भारतीय कपास निगम उनके साथ कानूनी समझौता करने के बाद पांच साल तक किसानों से MSP पर कपास खरीदेगा।