दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर डिजिटल यात्रा प्रणाली शुरू की गई है। यात्रियों को हवाई अड्डे में दाखिल होने के लिए कैमरे के सामने अपना चेहरा दिखाना होगा, चेहरा पहचान तकनीक (फेशिअल रिकाग्निशन) से जुड़े डिजिटल यात्रा ऐप के जरिए उनकी शिनाख्त होगी और तब वे प्रवेश कर सकेंगे। डिजिटल यात्रा ऐप की मदद से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दाखिल होने के लिए यात्रियों को कतार में लगने की जरूरत नहीं होगी और न ही उन्हें दस्तावेज दिखाने पड़ेंगे। चेहरा पहचानने की तकनीक की मदद से यात्री को हवाई अड्डे में प्रवेश मिल जाएगा।
क्या है डिजिटल यात्रा ऐप
दिल्ली एअरपोर्ट इंटरनेशनल लिमिटेड (डायल) ने एंड्रायड प्रणाली पर आधारित डीजी यात्रा ऐप का बीटा वर्जन जारी किया है। इस तकनीक की मदद से हवाई अड्डे में प्रवेश, सुरक्षा जांच और बोर्डिंग गेट तक यात्री पहुंच पाएंगे। डायल ने कहा कि प्रत्येक यात्री को प्रत्येक स्पर्श बिंदु पर तीन सेकंड से कम समय की आवश्यकता होगी और डीजी यात्रा भी सुरक्षा में सुधार करेगी। डीजी यात्रा नागरिक उड्डयन मंत्रालय की परियोजना है और 2017 से इसका परीक्षण चल रहा है। इसे घरेलू यात्रियों के लिए दिल्ली हवाई अड्डे के टर्मिनल तीन (टी3) पर शुरू किया गया। इस टर्मिनल से एअरएशिया इंडिया, एअर इंडिया, इंडिगो, स्पाइसजेट और विस्तारा जैसी विमानन कंपनियां अपनी सेवाएं संचालित करती हैं।
‘बायोमैट्रिक’ संचालित जानकारी
डीजी यात्रा ऐप का बीटा वर्जन एंड्रायड उपयोक्ताओं के लिए उपलब्ध है और कुछ ही हफ्तों में आइओएस प्लेटफार्म के लिए उपलब्ध हो जाएगा। डीजी यात्रा योजना में भागीदारी यात्रियों के लिए स्वैच्छिक है और इसे चुनने वालों को ऐप डाउनलोड करना होगा, खुद को पंजीकृत करना होगा, आधार की जानकारी लिंक करनी होगी, एक सेल्फी लेनी होगी और कोविड-19 टीकाकरण की जानकारी जोड़नी होगी। डायल का कहना है कि वह एक ‘बायोमीट्रिक एनेबिल्ड सीमलैस ट्रेवल एक्सपीरियंस’ लाएगा, जिसके जरिए यात्री चेहरा पहचान तकनी के माध्यम से अब हवाई अड्डे में प्रवेश कर सकेंगे। इस तकनीक को शुरू करने से पहले दिल्ली हवाई अड्डे पर अत्याधुनिक उपकरण लगाकर करीब 20 हजार यात्रियों के साथ इसका परीक्षण किया गया था।
अगर ‘डेटा’ साझा हुआ तो?
अगर डेटा साझा किया जाएगा तो क्या होगा? हवाई अड्डे पर यह योजना कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के तहत एक संयुक्त उद्यम कंपनी (जेवीसी) या एसपीवी द्वारा लागू की जाएगी, जिसे भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और सभी निजी हवाईअड्डा आपरेटरों द्वारा स्थापित किया जाएगा। वर्तमान में संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा को संसाधित करने के तरीके को नियंत्रित करने वाला एकमात्र कानूनी ढांचा सूचना प्रौद्योगिकी (उचित सुरक्षा प्रथाओं और संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा या सूचना) नियम, 2011 (एसडीपीआइ) है। एसपीडीआइ नियम कुछ सुरक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन ये केवल बायोमेट्रिक जानकारी पर लागू होते हैं।
डेटा सुरक्षा विधेयक की वापसी भारत सरकार ने इसी महीने ‘डेटा प्रोटेक्शन एंड प्राइवेसी बिल’ वापस ले लिया था। 2019 में लाए गए बिल को वापस लेते हुए सरकार ने कहा कि नए कानून पर काम किया जाएगा। केंद्र सरकार की ओर से जारी एक नोटिस में कहा गया था कि संसदीय पैनल ने 2019 के बिल की समीक्षा की थी जिसके बाद इसे वापस लेने का फैसला किया गया। पैनल ने कई बदलावों की सिफारिश की थी, जिसके बाद एक विस्तृत कानूनी बदलाव की जरूरत को देखते हुए इसे वापस ले लिया गया और अब सरकार एक नया बिल पेश करेगी।
इस कानून में कुछ बेहद कड़े नियमों का प्रावधान रखा गया था, जिसके तहत निजी कंपनियों को अपने ग्राहकों के बारे में विस्तृत सूचनाएं भारत सरकार के साथ साझा करनी होतीं। 2019 में यह बिल पेश करने के बाद केंद्र सरकार ने गैर-निजी डेटा को विनियमित करने संबंधी प्रस्ताव भी पेश किया था। यह डेटा वे सूचनाएं हैं, जिनके विश्लेषण का इस्तेमाल निजी कंपनियों अपना कारोबार बढ़ाने के लिए करती हैं। संसदीय पैनल ने सुझाव दिया था कि इन नियमों को भी निजता बिल में शामिल किया जाना चाहिए।
‘डेटा’ तक किसकी पहुंच
डीजी ऐप का इस्तेमाल करने वाले हवाई अड्डे भारत सरकार द्वारा लागू और अनिवार्य डेटा सुरक्षा कानूनों के अनुरूप होंगे और उनका पालन करेंगे। अभी भारत में डेटा सुरक्षा पर कोई विशिष्ट कानून नहीं है। मौजूदा व्यवस्था नीति में कानून का जोर नहीं है। किसी भी नीति या कानूनी ढांचे में यह व्यवस्था फिट नहीं होगी। इस कारण गोपनीयता सुरक्षा सिद्धांत सीधे किसी भी प्राधिकरण पर लागू नहीं होंगे। जानकारों का कहना है कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि इस योजना के तहत इकट्ठा किए गए ‘डेटा’ को केवल उन विशिष्ट उद्देश्यों के लिए इकट्ठा किया जाए, जो योजना को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए जरूरी हों। हालांकि, योजना के इर्द-गिर्द किसी भी कानूनी ढांचे की गैरमौजूदगी के कारण एकत्र किए गए व्यक्तिगत डेटा के कहीं भी साझा किए जाने का खतरा है। इसे उन उद्देश्यों के लिए संसाधित किया जा सकता है, जिनके लिए ‘डेटा’ देने वाले ने सहमति नहीं दी हो।
क्या है चेहरा पहचान तकनीक
यह बायोमेट्रिक साफ्टवेयर की एक श्रेणी है, जो किसी व्यक्ति के चेहरे की विशेषताओं को गणितीय रूप से याद रखती है। डेटा को फेसप्रिंट के रूप में संग्रहित करती है। यह साफ्टवेयर किसी व्यक्ति की पहचान के लिए ‘डीप लर्निंग एल्गोरिदम’ का प्रयोग करता है। चेहरे की विशेषताओं के आधार पर लोगों की पहचान करने का यह कम्प्यूटरीकृत तरीका है। यह तकनीक कैमरे से चलती है।
क्या कहते हैं जानकार
चेहरे की पहचान प्रणाली यात्रियों को कई बिंदुओं पर पहचान जांच की प्रक्रिया से बचाएगी और उन्हें कागज रहित यात्रा करने के लिए प्रोत्साहित करेगी और हवाई अड्डे पर सुरक्षा को भी बढ़ाएगी।
- विदेह कुमार जयपुरियार, ‘डायल’ के सीईओ
भारत में बहुत तेजी से इस तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि हर पल की निगरानी हमारे लिए अच्छी है। इस अवधारणा को चुनौती देना जरूरी है। इससे उन्हें मदद मिलेगी, जिन्हें पता ही नहीं है कि उनकी निगरानी की जा रही है।
- अनुष्का जैन, इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन