यहां के गंभीर परिवार ने अपने स्वजन की आंखें इसलिए दान में दी थीं कि वे किसी नेत्रहीन के जीवन में रोशनी फैलाएंगी। लेकिन ये आंखें दान लेने वाले अस्पताल ने इन्हें कचरापेटी के हवाले कर दिया। यह मामला सामने आने के बाद प्रशासन जब जागा तो उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है जिन्होंने यह घृणित कारगुजारी की।

इस घटना से आहत स्वर्गीय अमृत कौर के पुत्र किशन गंभीर ने जनसत्ता को बताया कि मैंने अपनी मां की आंखें जेएएच अस्पताल में इसलिए दान की थीं कि दो बेनूर लोगों की दुनिया रोशन हो। लेकिन अखबार की खबरों से जब यह पता चला कि वे अनमोल आंखें तो कचरेदान में फेंक दी गई हैं।

इस घिनौनी हरकत ने मुझे आघात पहुंचाया है। अस्पताल को दान में दी गई आंखे अस्पताल परिसर के कचरे में पाए जाने संबंधी खबरें सामने आने के बाद अस्पताल के डीन कार्यालय के सामने लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था। इस विरोध के बाद संभाग आयुक्त केके खरे ने गुरुवार को दो चिकित्सकों और एक नर्स को निलंबित कर दिया है।

आयुक्त ने यह कार्रवाई मीडिया में प्रकाशित-प्रसारित उन खबरों की पुष्टि के बाद की है, जिसमें कहा गया था कि दान में दी गई आंखें जया आरोग्य अस्पताल के कचरे में पाई गई थीं, जिसके लिए आरोपी चिकित्सक और नर्स जिम्मेदार थे।

खरे ने बताया कि जया आरोग्य अस्पताल के नेत्ररोग विभाग प्रमुख डॉ यूएस तिवारी, कॉर्निया विभाग प्रभारी डॉ एस के शाक्य और ऑपरेशन थियेटर प्रभारी नर्स मैसी को इन खबरों की प्रारंभिक जांच के बाद निलंबित कर दिया गया है कि दान दी गयी आंखें अस्पताल परिसर के कचरे में पाई गई हैं। संभाग आयुक्त ने मामले की जांच अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी (एडीएम) विदिशा मुखर्जी से कराने के आदेश दिए हैं।

गौरतलब है कि स्वर्गीय अमृत गंभीर के परिवारजनों ने अपने स्वजन के मरणोपरांत अस्पताल को दान में दी गई उनकी आंखें अस्पताल परिसर के कचरे में पाए जाने संबंधी खबरें सामने आने के बाद अस्पताल के डीन कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया था।

मिली जानकारी के अनुसार, एक स्थानीय अखबार के संवाददाता और छायाकार ने गंभीर के नेत्रदान के बाद इस मामले में 22 अप्रैल से जांच शुरू की थी। जांच इस बात को लेकर थी कि इन आंखों का क्या हो रहा है। उन्होंने सबूत जुटाए और पाया कि दान की आंखों की यह गत हो रही है।