जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में हुई ताजा मुठभेड़ के बाद एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगे हैं। जिस इलाके में हाल के कुछ सालों में शांति रही है वहां एक बार फिर इस तरह की घटना एक नई चर्चा को जन्म देती है कि लगातार ऐसा क्यों हो रहा है? साल 2021 के बाद से पुंछ, राजौरी और जम्मू सहित पीर पंजाल रेंज के दक्षिण के इलाकों में आतंकवाद से जुड़े मामलों में उछाल आया है।
जम्मू एवं कश्मीर के डोडा जिले के भट्टा देस्सा जंगलों में बुधवार सुबह एक बार फिर फरार आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हुई है।
जनवरी में पूर्व सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने स्वीकार किया था कि 2003 तक क्षेत्र में आतंकवाद पर काबू पा लिया गया था और 2017-18 तक इस क्षेत्र में शांति रही। हालांकि अब इस इलाके में आतंकी गतिविधि बढ़ गई है।
लगातार बढ़ रहे आतंकवाद के मामले
जम्मू क्षेत्र में 2022 और 2023 में सुरक्षा बलों पर तीन-तीन हमले हुए। जबकि इस साल अब तक छह हमले दर्ज किए गए हैं। गौरतलब है कि 2022 में अलग-अलग हमलों में सुरक्षा बल के छह जवान शहीद हुए। पिछले साल यह संख्या बढ़कर 21 हो गई और इस साल 11 हो गई है। इस साल अब तक इस क्षेत्र में पांच आतंकवादी मारे गए हैं। 2023 में यह आंकड़ा 20 था और 2022 में 14 आतंकवादी मारे गए थे। इस साल हमलों में ग्यारह नागरिकों की भी जान गई है।
| सुरक्षा बलों पर हुए हमलों की संख्या | वर्ष |
| 03 | 2022 |
| 03 | 2023 |
| 06 | 2024 |
| जवान शहीदों की संख्या | |
| 06 | 2022 |
| 21 | 2023 |
| 11 | 2024 |
| मारे गए आतंकियों की संख्या | |
| 14 | 2022 |
| 20 | 2023 |
| 05 | 2024 |
इंडियन एक्सप्रेस ने सुरक्षा सूत्रों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर पुलिस अधिकारियों से भी हिंसा में इस बढ़ोतरी के कारणों को समझने के लिए बात की। उन्होंने कुछ संभावित कारणों की ओर इशारा किया, है, यहां समझिए।
- जम्मू क्षेत्र में शांति बनी हुई थी। घाटी में सेना ज्यादा सक्रिय हुई। इस दौरान तैनात बलों को जम्मू संभाग को लेकर यह लगने लगा था कि यहां अब शांति है और आतंकी अपनी जड़ें मजबूत नहीं कर रहे हैं।
- जम्मू के पश्चिमी हिस्से में कठुआ-सांबा क्षेत्र में हुए हमले इस और इशारा करते हैं कि आतंकी सीमा वाले इलाकों पर गतिविधि बढ़ा रहे हैं। यह क्षेत्र जम्मू का हिस्सा होते हुए भी सेना की पश्चिमी कमान के तहत आते हैं, जो आतंकवाद विरोधी अभियान नहीं चलाता है। ऐसा हो सकता है कि अब सेना यहां अपनी संख्या को बढ़ाए लेकिन पहले उन्हें ट्रेनिंग दिया जाना आवश्यक होगा।
- राज्य पुलिस के सूत्रों ने भी कहा कि जम्मू को एक सुनियोजित रणनीति के तहत आतंकवादी संगठनों द्वारा सुरक्षा बलों के खिलाफ ऑपरेशन का नया थिएटर बनाया गया है। अब सेना यहां खासतौर पर रणनीति बना सकती है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि हमलों का नेतृत्व जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के कार्यकर्ता कर रहे हैं।
- एक टॉप सुरक्षा अधिकारी ने यह भी बताया कि टेक्नोलॉजी पर बढ़ती निर्भरता के साथ जमीनी संपर्क कम होने की संभावना है, जिससे कनेक्ट कम हुआ है।
- जम्मू-कश्मीर पुलिस के सूत्रों ने भी जम्मू में आतंकी हिंसा की घटनाओं में वृद्धि को सुरक्षा बलों को मिलने वाली मानव खुफिया जानकारी की कमी से जोड़ा है। अधिकारियों ने यह भी कहा कि जम्मू क्षेत्र में लगभग सभी हमले विदेशी आतंकवादियों द्वारा किए गए हैं। एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा, “वे मुख्य रूप से कठुआ और सांबा के कुछ हिस्सों का उपयोग भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने और घने जंगल का उपयोग करके इन हमलों को अंजाम देने के लिए कर रहे हैं।
