Why Farmer Protest Shifted in Delhi: देश की राजधानी दिल्ली में एक बार फिर किसानों की हुंकार सुनाई दी। जैसे ही हजारों किसानों ने सोमवार (22 अगस्त) को राजधानी के बीचो-बीच जंतर-मंतर पहुंचने की अपील की। दिल्ली पुलिस सक्रिय हो गई। पुलिस को अनुमान था कि 5,000 से अधिक किसान दिल्ली आ सकते हैं। जिनमें मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से किसान दिल्ली आने की कोशिश करेंगे। हालांकि, इस बार शायद अनुमान के मुताबिक धरना स्थल पर नहीं पहुंचे। वहीं, अब देश में इस बात की चर्चा होने लगी की आखिर केंद्र सरकार को तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर करने के नौ महीने बाद किसान फिर से विरोध क्यों कर रहे हैं? तो चलिए जानते हैं वापस लौटने की पूरा कहानी क्या है?

MSP की कानूनी गारंटी

19 नवंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा किया था। वहीं, सरकार ने एमएसपी को कानूनी अधिकार बनाने के दबाव का विरोध किया है। पिछले महीने संसद में एक सवाल के जवाब में सरकार ने साफ किया कि उसने इस मामले में प्रदर्शन कर रहे किसानों को कोई आश्वासन नहीं दिया था। दरअसल, पीएम मोदी कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद कृषि मंत्रालय की तरफ से गठित एक समिति के संदर्भ की शर्तों में एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी का जिक्र नहीं है। केवल इतना कहा गया है कि एमएसपी को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने की आवश्यकता है।

दरअसल, केंद्र सरकार ने 23 फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा की थी जिसमें सात अनाज (धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, ज्वार, रागी और जौ), पांच दालें (चना, अरहर, मूंग, उड़द और मसूर), सात तिलहन (सरसों) रेपसीड, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, कुसुम और नाइजरसीड) और चार व्यावसायिक फसलें (गन्ना, कपास, खोपरा और कच्चा जूट) शामिल हैं।

जानिए क्या है MSP

एमएसपी एक सांकेतिक मूल्य है। इसके पास कानूनी समर्थन नहीं है। किसान अधिकार के रूप में एमएसपी की मांग नहीं कर सकते हैं। भारत के कई हिस्सों में उगाई जाने वाली अधिकांश फसलों में किसानों को विशेष रूप से फसल के समय मिलने होने वाली कीमतें आधिकारिक तौर पर घोषित एमएसपी से काफी कम हैं। दरअसल, किसान जब तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे थे, तो उनकी मांगों में एक मांग ये भी थी कि एमएसपी पर कानून बनाया जाए।

Ajay Mishra Teni की बर्खास्तगी की मांग

किसान लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि अजय मिश्रा टेनी को केंद्रीय मंत्रालय से हटा दिया जाए। उन्होंने घटना की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है और पिछले सप्ताह टेनी को बर्खास्त करने के लिए तीन दिवसीय धरना दिया। किसानों की ये भी मांग है कि लखीमपुर खीरी हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए उनके 4 साथियों को रिहा किया जाए।

जानिए क्या हुआ था Lakhimpur Kheri में

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में विरोध प्रदर्शन के बाद वापस जा रहे किसानों पर थार समेत तीन गाड़ियों ने कुचल दिया था। इस घटना में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे का नाम सामने आया था, जो मुख्य आरोपी है। पिछले साल 3 अक्टूबर को हुई इस घटना में 4 किसान और एक पत्रकार की मौत हो गई थी। इसके बाद हुई हिंसा में जीप के ड्राइवर और दो स्थानीय बीजेपी नेताओं की मौत हो गई थी। आरोप थे कि मंत्री टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ ​​मोनू मौके पर मौजूद थे और उन्हें पिछले साल 11 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। इस साल 3 जनवरी को एसआईटी ने आशीष मिश्रा समेत 14 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।