अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू के करीबी रिश्तेदारों को साल 2012 से लेकर 2023 के बीच तवांग जिले में 146 सरकारी ठेके दिये गये। इन ठेकों की कुल राशि 383.74 करोड़ रुपये थी। पेमा खांडू के जिन रिश्तेदारों को ये ठेके मिले उनमें उनकी पत्नी त्सेरिंग डोलमा, उनके भाई ताशी खांडू और भाभी नीमा ड्रेमा की कंपनियाँ शामिल हैं। यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट में दिए गए एक हलफनामे में सामने आई है।

पेमा खांडू के रिश्तेदारों को मिले कुल ठेकों में से 16.83 करोड़ रुपये के 59 ठेके वर्क आर्डर के जरिये दिए गए यानी इनके लिए सार्वजनिक टेंडर नहीं निकाले गये थे।

किस काम के लिए दिए गए ठेके

ये ठेके सड़कों, पुलों, नालियों, सिंचाई चैनलों, बिजली लाइनों, रिटेनिंग दीवारों, सामुदायिक हॉल, सांस्कृतिक केंद्रों, आवासीय क्वार्टरों, कार्यालय और वाणिज्यिक भवनों, पर्यटन सुविधाओं, युद्ध स्मारक आदि के निर्माण या रखरखाव से संबंधित थे।

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सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मार्च में पूरी जानकारी देने का निर्देश अरुणाचल सरकार को दिया था। इंडियन एक्सप्रेस ने अरुणाचल की सरकार के द्वारा हलफनामे में दी गई जानकारी की समीक्षा की। इससे पहले पिछले साल दायर जनहित याचिका में सेव मोन रीजन फेडरेशन और वॉलंटरी अरुणाचल सेना ने आरोप लगाया था कि सरकारी काम के आदेश मुख्यमंत्री के परिवार से जुड़ी फर्मों को दिए गए थे।

अरुणाचल प्रदेश के इन दोनों संगठनों ने अदालत से ठेकों के आवंटन की सीबीआई या एसआईटी से जांच कराने का निर्देश देने की मांग की थी।

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अदालत ने कहा- पूरी जानकारी दें

2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण की इस दलील पर गौर किया कि राज्य सरकार की ओर से इस मामले में दी गई जानकारी अधूरी और पुरानी है। अदालत ने अरुणाचल प्रदेश से 2015 से 2025 तक के सभी जिलों की पूरी सूची आठ सप्ताह में देने का निर्देश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए हलफनामे में राज्य सरकार ने चार फर्मों के बारे में बताया है। पेमा खांडू की पत्नी त्सेरिंग डोलमा की कंपनियों के नाम मेसर्स फ्रंटियर एसोसिएट्स और मेसर्स ब्रांड ईगल्स हैं। पेमा खांडू के भाई ताशी खांडू की कंपनी मेसर्स आरडी कंस्ट्रक्शन है। मेसर्स एलायंस ट्रेडिंग कंपनी पेमा खांडू के भाई और तवांग के विधायक त्सेरिंग ताशी की पत्नी नीमा ड्रेमा के मालिकाना हक वाली है।

हलफनामे में कहा गया है कि अकेले तवांग जिले में मेसर्स फ्रंटियर एसोसिएट्स और मेसर्स ब्रांड ईगल्स को 209.6 करोड़ रुपये के 42 सरकारी ठेके मिले, जबकि मेसर्स आरडी कंस्ट्रक्शन को 29.1 करोड़ रुपये के 13 और मेसर्स अलायंस ट्रेडिंग कंपनी को 145.04 करोड़ रुपये के 91 ठेके मिले।

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इन विभागों के ठेके मिले

हलफनामे के मुताबिक, खांडू की पत्नी को लोक निर्माण विभाग, ग्रामीण निर्माण विभाग और तवांग में जल संसाधन विभाग के साथ-साथ जिले के जंग उपखंड में पीडब्ल्यूडी और ब्लॉक विकास कार्यालय द्वारा ठेके दिए गए थे।

राज्य सरकार ने बनाया था नियम

2015 में अरुणाचल की सरकार ने स्थानीय प्रोफेशनल्स और उद्यमियों को विकास के कामों में प्राथमिकता देने के लिए एक कानून बनाया। 2020 में इसमें संशोधन किया गया कि 50 लाख रुपये से ज्यादा कीमत के ठेके बिना टेंडर नहीं दिए जा सकेंगे लेकिन 59 ठेकों में से कम से कम 11 ठेके 50 लाख रुपये से ज्यादा के थे जबकि 5 ठेके 50 लाख रुपये तक के थे।

जैसे- 2018 में मेसर्स अलायंस ट्रेडिंग को तवांग में सरकारी कॉलेज बनाने के लिए जारी किया गया ठेका 2 करोड़ रुपये का था।

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सरकार ने अपने हलफनामे में क्या कहा?

राज्य सरकार ने अदालत से कहा कि बिना टेंडर के ठेके देना सामान्य बात है क्योंकि अरुणाचल प्रदेश एक आदिम जनजीवन से आधुनिक राज्य में बदल रहा है। सरकार का कहना है कि गांवों में विकास के कामों के लिए ग्रामीण जमीन को ठेके पर रोजगार के लिए मुफ्त में दे देते हैं।

सरकार ने कहा, ‘अरुणाचल में सामान्य प्रथा यह है कि सरकारी ठेका शुरू में ऐसे ठेकेदार को दिया जाता है जो उस गांव के बारे में जानता हो और काम करने का इच्छुक हो। ग्रामीण अपने चुने हुए प्रतिनिधियों की ठेका फर्म को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि उन्हें ऐसी ठेका फर्मों पर काफी भरोसा होता है।’

सरकार ने अदालत को यह भी बताया कि जहां जटिल और तकनीकी कार्य होते हैं, वहां टेंडर प्रणाली को अमल में लाया जाता है। राज्य सरकार के हलफनामे के मुताबिक, 95% ठेके खुले टेंडर से दिए गए हैं और इसलिए प्रतिवादियों या उनसे संबंधित फर्मों/लोगों को गलत फायदा पहुंचाने का आरोप नहीं लगाया जा सकता।

अदालत हैरान, कहा- ‘अद्भुत संयोग’

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की सर्वोच्च न्यायालय की बेंच ने टिप्पणी की कि मुख्यमंत्री के परिवार को इतने सारे ठेके मिलना ‘अद्भुत संयोग’ है। अदालत ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 3 फरवरी रखी है।

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