Delhi Election Ground Report: दिल्ली चुनाव में इस बार पर मुकाबला काफी कड़ा देखने को मिल रहा है। अरविंद केजरीवाल की सीट नई दिल्ली तो कई वजहों से सुर्खियों में चल रही है। ऐसी ही एक खबर है कि बीजेपी नेता परवेश वर्मा ने कथित तौर पर वोटरों को पैसे देने का काम किया है, महिलाओं को 1100 रुपये मिले हैं। जनसत्ता के संवादाता ने जमीन पर उतर सच जानने की कोशिश की, तो वोटरों ने काफी कुछ बताने का काम किया। कुछ महिलाओं ने इस बात को कैमरे पर स्वीकार किया कि उन्हें पैसे मिले हैं। कुछ ने यहां तक कहा कि पैसे के बदले वोट देने की बात हुई है।
केजरीवाल के गढ़ में केजरीवाल के खिलाफ नाराजगी
असल में यह सारे खुलासे नई दिल्ली के वाल्मीकि बस्ती इलाके में हुए जहां पर निर्णायक तादाद में वाल्मीकि समाज के वोटर रहते हैं। यह वही इलाका है जहां से आम आदमी पार्टी ने अपना चुनावी सिंबल लॉन्च किया था। इसी इलाके ने लगातार दो चुनावों में आम आदमी पार्टी को एकमुश्त तरीके से वोट करने का काम किया। लेकिन इस बार जब जनसत्ता की टीम ग्राउंड रिपोर्ट पर गई तो मिजाज थोड़ा बदला हुआ था। अब लोगों ने बातचीत में अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के खिलाफ अपनी नाराजगी बताई, लेकिन उससे बड़ी बात ‘पैसे के बदले वोट’ देने का मुद्दा सामने आ गया।
बीजेपी नेता प्रवेश वर्मा ने आरोपों पर क्या बोला?
जानकारी मिली कि वाल्मीकि बस्ती में कुछ दिन पहले एक कैंप लगा था। उस कैंप के जरिए इलाके की कई महिलाओं को 1100 रुपये दिए गए। उन्हीं लोगों ने बातचीत में बताया कि प्रवेश वर्मा ने यह पैसे बंटवाए हैं। उस जानकारी के साथ दिनेश नाम के शख्स से कुछ सवाल पूछे गए जिससे बिल्कुल साफ हो गया कि पैसे तो बंटे हैं, बीजेपी की तरफ से बंटे हैं। दिनेश ने कहा-
हमे परसो 1100 रुपये दिए गए थे। उन्होंने बोला था कि मदद कर रहे हैं। हमे कोई बुलाने नहीं आया था, बस बस्ती में एक कैंप लगा था। हम मानते हैं कि हमारी आर्थिक सहायता करने के लिए यह पैसा दिया गया। कोरोना के टाइम में भी प्रवेश जी ने काफी कुछ किया था।
दिनेश, स्थानीय निवासी, वाल्मीकि बस्ती
अब दिनेश के मुताबिक अगर बीजेपी चुनाव में हार भी जाती है, यह पैसे मिलते रहेंगे। उसे ऐसा आश्वासन मिला है कि 2029 तक ऐसे ही हर महीने पैसे आते रहेंगे। वैसे दिनेश ने ऑफ कैमरा जनसत्ता को वो कार्ड भी दिखाया जो उस कैंप में बांटा गया था। उस लिफाफे में एक कार्ड था, कार्ड बीजेपी के चुनावी सिंबल जैसा। उस पर बड़ा-बड़ा लिखा था- लाडली योजना। तस्वीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, साथ में दूसरे हाईकमान के बड़े नेता। कार्ड को पलटकर देखा तो एक टेबल बनी हुई थी जिसमें इस बात का रिकॉर्ड है कि किस महीने का पैसा मिलने वाला है।
एक बात गौर करने वाली यह रही कि जो कार्ड दिनेश ने जनसत्ता को दिखाया, उसमें कहीं प्रवेश वर्मा के एनजीओ का नाम नहीं लिखा था। लोगों से इस बारे में पूछने की कोशिश हुई, लेकिन सामने से किसी ने कुछ बताया नहीं।
क्या बोलकर पैसे दिए गए?
जनसत्ता जब वाल्मीकि बस्ती में थोड़ा और घूमा तो एक महिला ने और इस बात को स्वीकार किया कि उन्हें भी 1100 रुपये मिले। उस महिला नाम रवीना था, शादी टूट चुकी थी, काम कोई था नहीं, मां के पैसों से घर चल रहा था। रवीना से जब पैसे वाली बात पर सवाल हुआ तो पहले तो वे बोलने से बचीं, लेकिन फिर काफी कुछ बता दिया। उन्होंने कहा-
1100 रुपये दिए हैं, आगे तुम हमे वोट दोगे तो तुम्हारे आगे के पैसे स्टार्ट होंगे आने के लिए। हमे ये बोलकर कोर्ड दिया गया कि अभी ये दे रहे हैं , फिर तुम हमे वोट दोगे, फिर आगे के पैसे भी दिए जाएंगे। लेकिन मैं इसे गलत मानती हूं, पहले तो कोई पैसे नहीं दिए गए, महिलाओं को तो पहले भी जरूरत थी, अब वोट चाहिए तो पैसे दे रहे हैं।
रवीना, स्थानीय निवासी, वाल्मीकि बस्ती
अब वाल्मीकि बस्ती में रवीना जैसी कई दूसरी महिलाएं भी मिली जिनका मानना था कि इन पैसों से उनका कुछ भला नहीं होने वाला। इन सभी महिलाओं से जब जनसत्ता ने बात की तो पता चला कि इनके लिए रोजगार ज्यादा बड़ा मुद्दा बन चुका है। यह महिलाएं अपने लिए तो नहीं लेकिन बच्चों के लिए नौकरी की मांग कर रही हैं।
लेकिन इतना जरूर समझ गया कि केजरीवाल के गढ़ में बीजेपी के पक्ष में हमे जो हवा दिख रही थी, उसमें इन 1100 रुपये का भी बड़ा योगदान है। अब देखना यह दिलचस्प रहेगा कि इन पैसों को लेने के बाद क्या पैसे देने वालों के प्रति वफादारी भी निभाई जाती है या फिर उन्हीं के साथ सबसे बड़ा खेुल किया जाता है?