प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकारी कार्यालयों में फाइलों के त्वरित निपटारे पर बार-बार जोर देते रहे हैं। पीएम मोदी कई बार सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि पिछली सरकारों के उलट उनके कार्यकाल में सरकारी दफ्तरों में फाइलें रोक कर नहीं रखी जातीं। लेकिन रेल मंत्रालय से जुड़ी एक खबर पीएम के दावों और इरादों पर सवाल खड़ा कर रही है। मामला कोई ऐसा वैसा भी नहीं है बल्कि खुद पीएम की एक महत्वाकांक्षी परियोजना से जुड़ा है। पीए मोदी अहमदाबाद से मुंबई तक हाई स्पीड रेल बनाने की घोषणा कर चुके हैं। पीएम ने इस परियोजना को तेजी से पूरा करने की भी बात कही थी लेकिन इससे जुड़ी एक फाइल करीब एक महीने से रेल मंत्रालय में अटकी हुई है। नवगठित नेशनल हाई स्पीड रेल कार्पोरेशन को इस योजना को जल्द इस योजना को अमली जामा पहनाना है लेकिन अभी तक विभाग के आला अधिकारियों का ही चयन नहीं हो पाया है। कार्पोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर और तीन बोर्ड डायरेक्टरों की नियुक्ति के विज्ञापन से जुड़ी फाइल अभी तक रेल मंत्रालय से आगे नहीं बढ़ सकी है।
नई नियुक्ति का विज्ञापन देने में लग रहे वक्त से नियुक्ति होने और उसके बाद परियोजना का काम शुरू होने में लगने वाले वक्त को लेकर आशंकित होना स्वाभाविक है। ये खबर ज्यादा चिंताजनक इसलिए भी है क्योंकि रेल मंत्री सुरेश प्रभु को नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल के सबसे कुशल और प्रभावी मंत्रियों में माना जाता है। रेल मंत्री प्रभु ट्विटर पर रेलयात्रियों द्वारा की गई शिकायतों के त्वरित निपटारे को लेकर कई बार तारीफ बटोर चुके हैं। ऐसे में जब अपने विभाग के अंदर ही वो पीएम की महत्वाकांक्षी परियोजना को जल्द आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं तो सवाल उठना लाजिमी है।

