जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त किए जाने के बाद यूरोपियन यूनियन (EU) देशों के 27 सासंदों का एक दल मंगलवार (29 अक्टूबर) को प्रदेश में अनाधिकारिक दौरे पर पहुंचा। इनमें से चार सांसदों ने आज यानी बुधवार को श्रीनगर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जम्मू-कश्मीर के हालातों के बारे में जानकारी दी। सांसदों ने कहा कि प्रदेश में सब चाहते हैं कि स्कूल, कॉलेज और हॉस्पिटल जल्द से जल्द खुलें। कश्मीर में अभी विकास का माहौल है और हमें वहां का माहौल अच्छा लगा। सांसदों के दल ने कहा कि वो चाहेंगे जम्मू-कश्मीर दूसरा अफगानिस्तान नहीं बने। आंतकवाद देश को तबाह नहीं कर सकता।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सांसद ने पाकिस्तान पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंक को फंडिंग करता है और हम आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ है। कश्मीर में आतंकवाद की समस्या सिर्फ भारत की नहीं है और निश्चित रूप से आतंकवाद के खिलाफ लड़ने पर हम भारत देंगे। एक सवाल के जवाब में एक ईयू सांसद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सही दिशा में काम हो रहा है। सांसद इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि उनकी यूनियन को भारत का समर्थन करना चाहिए।

एक सांसद ने कहा कि पाकिस्तान में ईसाइयों की हालात चिंताजनक है। कश्मीर में पाकिस्तान की जो भूमिका है उसे लेकर भी अपनी-अपनी संसद में बताएंगे। साथ ही यूरोप के लोगों से कश्मीर जाने को भी कहेंगे। एक सवाल के जवाब में ईयू सांसद ने कहा कि वो हिटलर समर्थक नहीं है, अगर ऐसा होता तो उनका मुल्क इतना विकास नहीं करता।

मीडिया एक हिस्से में अपने दौरे पर सवाल उठाए जाने पर सांसदों ने कहा कि उनके दौरे को गलत तरीके से प्रचारित किया गया। ईयू सांसद हैनरी मालूस ने कहा कि भारतीय मीडिया में हमें भेदभाव करने वाला नेता बताया। हमारे बारे में जो फासीवादी धारणा बताई गई वो बिल्कुल गलत है। हमें राजनीति से कोई मतलब नहीं। हम सिर्फ तथ्य जुटाने आए हैं। हमारा मकसद सिर्फ कश्मीर के लोगों से मिलना था।