इस साल 31 मार्च को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए अनिवार्य निवेश पर लाखों वेतनभोगी कर्मचारियों को कम रिटर्न मिल सकता है। दो सरकारी अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने ग्राहकों को इस वित्त वर्ष के लिए 15-25 आधार बिंदु की ब्याज दर कम करने की संभावना है। एक आधार बिंदु एक प्रतिशत बिंदु का सौवां हिस्सा है। लाइव मिंट की खबर के अनुसार ईपीएफओ ने अपने प्रस्ताव की व्यवहार्यता वित्त मंत्रालय को समझाने के लिए सात महीने लिए। इसके बाद बाद 2018-19 के वित्तीय वर्ष में ईपीएफओ ने अपने ग्राहकों को 8.65% ब्याज की पेशकश की।

दोनों में से एक अधिकारी ने कहा कि यह निर्णय आर्थिक मंदी की पृष्ठभूमि के खिलाफ भी आता है। सरकारी प्रतिभूतियों सहित डेब्ट मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स के लिए कम सृजन और पब्लिक प्रॉविडेंट फंड, सरकारी प्रॉविडेंट फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट पर कम ब्याज दर लागू होने की संभावना है। ऐसा ईपीएफओ द्वारा 2019-20 वित्तीय वर्ष में इस कम ब्याज दर की घोषणा करने की संभावना है। दूसरे अधिकारी ने बताया कि रिटायरमेंट फंड मैनेजर अपने निवेश अधिकारियों, कार्यकारी समिति के सदस्यों और केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठकों की एक सीरीज के बाद जनवरी के अंत तक ब्याज की वार्षिक दर की घोषणा कर सकती है।

पहले अधिकारी ने बताया, “इस साल आर्थिक मंदी प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिली है। ऋण के साधनों पर कम होता रिटर्न ईपीएफओ को 2019-20 के भुगतान को कम करने के लिए बाध्य करेगा। पिछले एक साल में लॉग-टर्म फिक्सड डिपॉजिट और कुछ बांड में 50 से 90 आधार अंकों की कमी आई है और आप इनकी अनदेखी नहीं कर सकते हैं।” दूसरे अधिकारी ने बताया, “जनवरी 2019 और जनवरी 2020 के बीच 10 साल का बेंचमार्क सरकारी प्रतिभूतियां या जी-सेक 85 और 90 आधार अंकों के बीच नीचे चली गईं और इससे ईपीएफओ की कमाई पर असर होगा।”

अधिकारी ने कहा कि बाजार में ब्याज दरों में 100 अंकों की गिरावट का असर 55 से 70 आधार अंकों के बीच ईपीएफ भुगतान पर पड़ने की संभावना है। जैसे ईपीएफओ को इस वित्तीय वर्ष में 8.65% ब्याज देना मुश्किल होगा। वजह ये है कि ऋण बाजार में अपने वार्षिक शुल्कों का 85% और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड के माध्यम से इक्विटी में 15% निवेश करता है। दूसरे अधिकारी ने कहा, “इस प्रकार ईपीएफ ब्याज दर में 15-25 आधार बिंदु की कटौती इस वित्तीय वर्ष में आश्चर्य की बात नहीं होगी।” पहले अधिकारी के अनुसार दो और निवेश दर में कटौती हो सकती है। सबसे पहले छोटे निवेश के साधन जैसे सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ)। वर्तमान में सरकारी भविष्य निधि में किए गए निवेश पर सिर्फ 7.9% ब्याज मिलता है।

दूसरा इस साल ईपीएफओ को संकटग्रस्त ऋणदाता इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड से अपने पिछले निवेशों को वसूलना मुश्किल हो गया है। साथ ही बंधक ऋणदाता दीवान हाउसिंग फाइनेंस कार्पोरेशन लिमिटेड ने परेशान किया। कई प्रयासों के बावजूद लगभग श्रमिकों का 1,300 करोड़ रुपया जो रिटायरमेंट फंड मैनेजर द्वारा सीधे निवेश किया गया था, दोनों फर्मों के साथ फंस गया है।

सीबीटी में कर्मचारियों के प्रतिनिधियों ने पुष्टि की है कि 2019-20 एक कठिन वर्ष होने की संभावना है, लेकिन उन्होंने कहा कि वे चालू वित्त वर्ष में 8.65% की दर को बनाए रखने के लिए ईपीएफओ पर दबाव बनाएंगे। कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले सीबीटी सदस्य प्रभाकर बानसूरे ने कहा, “हम जानते हैं कि यह एक कठिन वर्ष है, लेकिन हम 8.65% ईपीएफ भुगतान को बनाए रखने पर जोर देंगे। हम यह देखने का इंतजार कर रहे हैं कि जब हम मिलेंगे तो इस साल श्रम मंत्रालय और ईपीएफओ अपनी आय के संदर्भ में तालिका में क्या लाते हैं।” श्रम मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने इस मामले पर किसी तरह की टिपण्णी करने से इन्कार कर दिया।

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सीबीटी श्रम मंत्री के नेतृत्व में ईपीएफओ का शीर्ष निर्णय लेने वाला निकाय है। यह 12 ट्रिलियन से अधिक के कोष का प्रबंधन करता है और इसके 60 मिलियन से अधिक सक्रिय ग्राहक हैं। सीबीटी में सरकार और कर्मचारियों के प्रतिनिधि शामिल हैं। यह भविष्य निधि ब्याज दर तय करने से पहले वर्ष के लिए सेवानिवृत्ति निधि प्रबंधक की आय पर चर्चा करता है। इसे वित्त मंत्रालय द्वारा अनुमोदित करने की आवश्यकता होती है।

वित्त मंत्रालय ने लगभग सात महीनों के लिए 2018-19 में ईपीएफओ के लिए 8.65% का भुगतान रोक रखा था। पिछले साल एक विवाद यह था कि 8.65% पेआउट के बाद ईपीएफओ को 2018-19 में 151 करोड़ का अधिशेष (सरप्लस) बचा था, जो 2017-18 में 586 करोड़ के अधिशेष से बहुत कम था।