प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार (2 अप्रैल) को देशभर में चल रही 1,000 फर्जी कंपनियों का पता लगाया। इन सबके बारे में कालेधन के संदेह पर देशभर में चलाए गए सर्च ऑपरेशन के बाद पता चला। ईडी ने देशभर में 16 राज्यों में तलाशी अभियान चलाया था। ईडी के अधिकारी सुबह से ही इसमें जुट गए और उन्होंने कथित संदिग्ध कंपनियों के बाजारों, कारोबारी केन्द्रों, आवासीय परिसरों और यहां तक कि किराये पर दिये गये मकानों में भी तलाशी की। एजेंसी का मानना है कि ये संदेहास्पद कंपनियां ही देश में कालेधन की रीढ़ हैं। अंतिम जानकारी मिलने तक ईडी की टीम कोलकाता, मुंबई, अहमदाबाद, पणजी, कोच्चि, बेंगलूरू, हैदराबाद, दिल्ली, लखनऊ, पटना, जयपुर, चंडीगढ़, जालंधर, श्रीनगर, इंदौर और कुछ हरियाणा में कुल मिलाकर 110 ठिकानों पर पहुंची।

जिन फर्जी कंपनियों के बारे में पता चला उसमें कुछ के तार छगन भुजबल, वाईएसआर कांग्रेस नेता जगनमोहन रेड्डी, बहुजन समाज पार्टी के पूर्व नेता बाबू सिंह कुशवाह और यूपी के पूर्व इंजीनियर यादव सिंह के अलावा भी कुछ लोगों से जुड़े।

ईडी ने बताया कि शनिवार को 16 राज्यों में कार्रवाई शुरू की गई। जिसमें 110 ठिकानों पर छापेमारी की गई। ईडी को उम्मीद थी कि तकरीबन 300 फर्जी कंपनियों के बारे में उसको पता चलेगा लेकिन सर्च ऑपरेशन में 1,000 से ज्यादा फर्जी कंपनियों की जानकारी मिल गई।

ईडी अधिकारी ने बताया कि उसमें से कुछ वह थीं जिन्होंने छगन भुजबल के पैसे की हेरा-फेरी में मदद की थी। ईडी ने कहा है कि उसने मुंबई स्थित आपरेटर के ठिकानों की तलाशी ली जो कि 700 फर्जी कंपनियों को चलाता है जिसमें 20 नकली निदेशक हैं और इन कंपनियों ने महाराष्ट्र के जेल में बंद पूर्व उप-मुख्यमंत्री छगन भुजबल के लिये 46.7 करोड़ रुपए को कथित तौर पर काले से सफेद में बदला है।

ईडी का यह देशव्यापी अभियान प्रधानमंत्री कार्यालय के हाल के निर्देश का हिस्सा था। इस निर्देश में इन कथित फर्जी कंपनियों के अवैध कारोबार का पता लगाना था। इस केन्द्रीय एजेंसी के कुल मिलाकर 800 अधिकारी और अन्य कर्मचारी हैं। आज इसका समूचा स्टाफ करीब करीब बाहर था और उसने इन फर्जी कंपनियों के खिलाफ इस बड़े अभियान को अंजाम दिया।