भारत में कोरोनावायरस के मद्देनजर रोजगार के आंकड़ो में आई भारी गिरावट में अब थोड़ी कमी आना शुरू हो गई है। हालांकि, पिछले साल की तुलना में नए रोजगारों का आंकड़ा अब भी बहुत कम है। कर्मचारी भविष्य निधि संस्थान (ईपीएफओ) की ओर से पिछले हफ्ते जारी किए गए पेरोल डेटा के मुताबिक, अनलॉक के साथ ही मिलने वाली नई नौकरियों का आंकड़ा बढ़ा है।

ताजा आंकड़ों के मुताबिक, ईपीएफओ में नए ग्राहक यानी नए नौकरीपेशा लोगों की संख्या इसी साल जून में 5.52 लाख थी, जबकि जुलाई में यह बढ़कर 6.48 लाख पर पहुंच गई। अगस्त में एक बार फिर नई नौकरियां बढ़ीं और ईपीएफओ से 6.7 लाख नौकरीपेशा लोग जुडे़। हालांकि, जहां लॉकडाउन हटने और अर्थव्यवस्था के खुलने के साथ पिछले महीनों के मुकाबले नौकरियां बढ़ी हैं, वहीं पिछले साल की तुलना में यह आंकड़े बेहद कम हैं।

अगर पिछले साल जून की बात की जाए, तो देश में 12.02 लाख नए रोजगार पैदा हुए थे। हालांकि, भारत में इस साल कोरोनावायरस की वजह से मार्च में लॉकडाउन का ऐलान कर दिया गया था, जो कि मई के अंत तक जारी रहा और जून की शुरुआत में कुछ प्रतिबंधों के साथ खुला। इसका असर यह रहा कि इस साल जून में 5.52 लाख रोजगार ही पैदा हुए, जो कि पिछले साल के मुकाबले 54 फीसदी कम थे। इसी तरह जुलाई में पिछले साल के 12.21 लाख नए रोजगारों के मुकाबले इस साल 47 फीसदी कम रोजगार पैदा हुए। अगस्त में रोजगार बढ़ने के बावजूद पिछले साल के 10 लाख नए रोजगार के मुकाबले इस बार 33 फीसदी कम नौकरियां पैदा हुई हैं।

ईपीएफओ के पेरोल डेटा के मुताबिक, नए ग्राहकों में महिलाओं की भागीदारी अगस्त में 20 फीसदी से भी कम है, जबकि पिछले साल अगस्त में कुल नए ग्राहकों में 23 फीसदी महिलाएं थीं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के प्रबंध निदेशक महेश व्यास ने द टेलिग्राफ अखबार को बताया कि ईपीएफओ में ज्यादा ग्राहकों का जुड़ना अच्छे संकेत हैं, पर अब भी पिछले साल के मुकाबले इसकी संख्या काफी कम है। उन्होंने बताया कि त्योहारों के सीजन में हमेशा बाजार की गतिविधियां बढ़ती हैं, लेकिन यह देखना जरूरी है कि जनवरी और फरवरी तक यह बढ़त का ट्रेंड बरकरार रहता है या नहीं।