झारखंड के गिरिडीह जिले में नहर का बांध ढहने के चलते राज्य सरकार विपक्ष के निशाने पर है। खास बात है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने घटना से कुछ घंटे पहले ही कोनार नदी सिंचाई परियोजना का उद्घाटन किया था। मामले में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संभव है कि चूहों के बिलों ने बांध को नुकसान पहुंचाया हो। बता दें कि बाध गिरीडीह जिले के बगोदर में टूटा जिससे बरवाडीह, प्रतापुर, घोशकोडिह और खटिया सहित कम से कम छह गांवों के खेतों में पानी भर गया। एक अधिकारी ने बताया कि बांध की मरम्मत का कार्य शुरू हो गया है बगोदर क्षेत्र में पानी का बहाव रोक दिया गया है।
एक बयान जारी कर सरकार ने कहा कि कोनार नदी परियोजना ने करीब 42 साल बाद पूरी हुई। परियोजना के हिस्से के रूप में सात किलोमीटर अंडरग्राउंड टनल और 103 किलोमीटर नहर का निर्माण किया गया। राज्य सरकार ने कहा कि इस सिंचाई परियोजना के कारण 85 से ज्यादा गांवों की 62,895 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। परियोजना की लागत 2,176 करोड़ रुपए है।
वहीं जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा कि जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनीयर (हजारीबाघ) को मामले में रिपोर्ट दर्ज करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा, ‘बगोदर शाखा नहर से लगभग 16 किमी दूर 25-30 फीट कच्चा बांध का बायां हिस्सा बुधवार को ढह गया। ऐसी संभावना है कि चूहों के छेद करने की वजह से बांध में दरार पड़ गई हों। हालांकि घटना के तुरंत बाद पानी के बहाव को रोक लिया गया।’
इसके अलावा चीफ इंजीनियर के नेतृत्व में एक हाई लेवल टीम का गठन किया गया है, जो 24 घंटे के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। अधिकारियों का यह भी कहना है कि बहते पानी के भारी दबाव के कारण बांध ढह गया।
जानना चाहिए कि हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ ब्लॉक के बनासो में परियोजना का उद्घाटन करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा था कि बीते 45 सालों तर सिंचाई परियोजना के अधूरा रहने के बाद सिंचाई परियोजना का उद्घाटन किया गया है। अब हजारीबाग, गिरिडीह, बोकारो के 85 गांवों को सिंचाई के लिए पानी की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
दूसरी तरफ बांध ठहने पर सदन में विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रोजेक्ट 12 घंटे तक भी सफल नहीं रह सका और अब चूहों पर आरोप लगाए जा रहे हैं।
