Electoral Bond Investigation: देश में पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर रोक लगा दी गई। सरकार के जितने भी तर्क थे, सभी सर्वोच्च अदालत में खारिज हुए और बाद में एसबीआई को चुनावी बांड का सारा डेटा भी जारी करना पड़ा। अब जब से इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा जारी किया गया है, हर कोई उसका विश्लेषण कर रहा है। कोई बता रहा है कि बीजेपी को कितना चंदा मिला, कोई बता रहा है कि किस कंपनी ने सबसे ज्यादा चंदा दिया।
लेकिन एक बड़ा सवाल ये भी मन में आता है कि आखिर इलेक्टोरल बॉन्ड पर बैन लगने से पहले कितना चंदा दिया गया था। वो कौन सी कंपनियां थीं जिन्होंने बैन से एक महीना पहले ही अपनी जेब से बड़ी मात्रा में पैसे देने का काम किया। किसी ने करोड़ों में डील किया है तो कुछ कंपनियों ने लाख रुपये के बॉन्ड भी कई बार जारी किए हैं। इसे लेकर जो आंकड़ा सामने आया है, वो ईसी द्वारा जारी किए गए डेटा के आधार पर है। जब उस डेटा को ध्यान से देखा गया तो कई चौंकाने वाली बातें पता चलीं।
इस समय लौटरी किंग की कंपनी FUTURE GAMING AND HOTEL SERVICES PR की चर्चा सबसे ज्यादा हो रही है। बड़ी मात्रा में चंदा भी इसने ही पार्टियों को दिया है, साउथ में दूसरे नाम से कंपनी चल रही है तो दक्षिण में डीएमके से करीबी होने का फायदा मिल रहा है। इस बीच पता ये चलता है कि फ्यूचर गेमिंग ने इस साल 9 जनवरी को अकेले 63 करोड़ के बॉन्ड खरीदे थे। अब कौन सी पार्टी में इन्हें बांटा गया, ये राज अभी राज ही चल रहा है। वैसे अगर फ्यूचर गेमिंग के कुल चंदे की बात करें तो उसने 1368 करोड़ रुपये राजनीतिक पार्टियों में बांटे हैं।
पीएम आवास बनाने वाली कंपनी ने खरीदे बॉन्ड
अब एक ही दिन में 50 करोड़ का चंदा भारती एयरटेल ने भी दिया है। उसने भी 50 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे। इसी तरह B G SHIRKE CONSTRUCTION TECHNOLOGY PVT LTD ने सिर्फ एक दिन में 25 करोड़ के बॉन्ड खरीदे हैं। ये वो कंपनी है जिसके पास महाराष्ट्र में कई सड़क से जुड़े प्रोजेक्ट हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भी कई घर बनाए गए हैं।
यूपी की बिजली विभाग वाली कंपनी के करोड़ों के बॉन्ड
जांच करने पर पता चलता है कि यूपी में बिजली विभाग से जुड़ी कंपनी WESTERN UP POWER TRANSMISSION COMPANY LIMITED ने भी एक दिन में ही 29 करोड़ का चंदा दिया था। समझने वाली बात ये है कि ये ट्रांजेक्शन भी जनवरी महीने में ही हुआ था, यानी कि इलेक्टोरल बॉन्ड के बैन होने से एक महीना पहले। अगर ईसी के इस डेटा को डीकोड किया जाए तो पता तो ये भी चलता है कि फॉर्मा कंपनियों ने बढ़ चढ़कर पॉलिटिकल पार्टीस को चंदा देने का काम किया है।
FDA के घेरे में वाली फॉर्मा कंपनी ने खरीदे बॉन्ड
बात अगर अकेले जनवरी महीने की करें तो NATCO PHARMA LTD, Dr Reddy’s Laboratories ने भी करोड़ों के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं। NATCO PHARMA LTD की खरीदारी पर नजर दौड़ाई तो पता चला कि यहां भी एक ही दिन के अंदर में 21 करोड़ के बॉन्ड खरीदे गए। वहीं उसी तरह दूसरी फॉर्मा कंपनी Dr Reddy’s Laboratories ने भी चार जनवरी को 10 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे। याद रखने वाली बात ये है कि कुल आंकड़ा इससे ज्यादा है, ये नंबर तो सिर्फ जनवरी महीने का बताया जा रहा है।
एक हैरानी वाला पहलू ये भी है कि NATCO कंपनी जांच के घेरे में आ चुकी है। पिछले साल ही FDA ने ये निष्कर्ष निकाला था कि उसकी तेलंगाना में जो फैक्ट्री है, वहां पर मेडिकल इक्विपमेंट को सही तरह से नहीं रखा जा रहा है और वहां बनने वाले ड्रग्स की क्वालिटी पर भी इसका असर पड़ सकता है। अब इस NATCO ने अपना चंदा किसे दिया, सरकार यानी कि बीजेपी को या फिर विपक्ष को, इसी पर आगे की जांच निर्भर कर सकती है।
पेपर लीक के आरोप, चंदा देने में ये कंपनी आगे
अब दक्षिण भारत की भी एक कंपनी है- SRI CHAITANYA STUDENTS FACILITY MANAGEME। इसने जनवरी महीने में 11 तारीख को 1 एक करोड़ के कई बॉन्ड भी खरीदे और 10 लाख के भी कई बॉन्ड पार्टियों को देने के लिए परचेस किए। आंकड़ा बताता है कि इस कंपनी ने कुल 6 करोड़ के बॉन्ड बैन से एक महीने पहले अपने नाम किए। अब इस कंपनी का विवादों के साथ एक पुराना नाता है। जब आंध्र प्रदेश में टीडीपी की सरकार थी, तब जगन मोहन रेड्डी इसी कंपनी पर पेपर लीक के आरोप लगाते थे और माना जाता था कि इसका रिश्ता टीडीपी के साथ काफी मजबूत है।
एक महीना पहले IT रेड और फिर करोड़ों का चंदा
समझने वाली बात ये भी है कि SRI CHAITANYA STUDENTS FACILITY MANAGEME की कुछ एसोशिएट कंपनियां भी हैं, उन्होंने भी इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं। यानी कि कंपनी एक, नाम अलग-अलग और बॉन्ड भी खरीदे गए। उदाहरण के लिए VARSITY EDUCATION MANAGEMENT PVT LIMITED ने भी 2022 में दो करोड़ के बॉन्ड खरीदे थे। दक्षिण भारत की ही एक और कंपनी है SHIRDI SAI ELECTRICALS LTD जिसने जनवरी में सिर्फ एक ही दिन के अंदर में 40 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे। अब ये कंपनी सवालों में आती है क्योंकि कम ही लोगों को पता है कि पिछले साल दिसंबर में ये कंपनी आईटी रेड का शिकार हुई थी।
आंध्र प्रदेश में स्मार्ट मीटर्स लगाने का काम इस कंपनी द्वारा किया जा रहा है। माना जाता है कि जगन मोहन रड्डी की पार्टी सरकार बनाने के बाद इस कंपनी को कई प्रोजेक्ट दिए हैं। ऐसे में क्या सबसे ज्यादा चंदा भी YSRCP को इस कंपनी से मिला है? अब इसका जवाब तो तभी दिया जा सकता है जब ये पता चले कि कौन सी पार्टी को किसने और कब चंदा दिया। टाइमिंग का खेल ही कई राज से पर्दा उठा सकता है।
वैसे जांच करने पर पता चलता है कि कई ऐसी कंपनियां हैं जिन्होंने कई एंजेसियों की रेड के बाद अचानक से ही पार्टियों को भारी-भरकम चंदा देने का काम किया है। ऐसी ही एक कंपनी Rungta Sons Pvt Limited है जो कई सालों से फॉरेस्ट्री के क्षेत्र में काम कर रही है। इलेक्टोरल बॉन्ड पर बैन लगने से पहले इस कंपनी ने भी जनवरी महीने में एक दिन के अंदर में 50 करोड़ के बॉन्ड खरीदे थे। यहां भी कॉमन बात ये है कि पिछले साल दिसंबर में आईटी की यहां रेड पड़ी थी। बड़ी बात ये भी है कि 2021 में भी इसी कंपनी एक दिन में 50 करोड़ के बॉन्ड खरीदे थे, यानी कि इसका कुल आंकड़ा 100 करोड़ बैठता है।
एक कंपनी- दो सब्सिडरी, दोनों ने खरीदे बॉन्ड
आप जानते हैं गुजरात की भी एक बड़ी कंपनी है- Torrent Group। इसकी एक फॉर्मा कंपनी भी चल रही है- TORRENT PHARMACEUTICALS LTD। अब इन दोनों ने ही भारी-भरकम चंदा पार्टियों को देने का काम किया है। अगर बात अकेले जनवरी महीने की हो तो TORRENT POWER LIMITED ने 10 करोड़ के बॉन्ड खरीदे थे। वहीं उसकी दूसरी कंपनी TORRENT PHARMACEUTICALS LTD ने भी उसी दिन 10 करोड़ के बॉन्ड अपने नाम किए, यानी कि एक ही दिन में 20 करोड़ का चंदा गया है। हैरानी की बात ये है कि टोरेंट ने 9 जनवरी को भी 15 करोड़ के बॉन्ड खरीदे थे, यानी कि दो दिन लगातार खरीदारी की गई है। उसी की दूसरी फॉर्मा वाली कंपनी ने भी 15 करोड़ के बॉन्ड खरीदे, यानी कि कुल 30 करोड़। वहीं अगर दोनों ही दिनों का मिला दिया जाए तो गुजरात की इस कंपनी ने जनवरी माह में 50 करोड़ के बॉन्ड अपने नाम किए।
अगर टोटल आंकड़े की बात करें तो टोरेंट ग्रुप ने तो 107 करोड़ के बॉन्ड खरीदे हैं, वहीं TORRENT PHARMACEUTICALS ने 78 करोड़ के बॉन्ड परचेस किए।
ग्राहक परेशान, रीयल इस्टेट की इस कंपनी ने भी खरीदे बॉन्ड
SBI के डेटा पर नजर दौड़ाएं तो पता ये भी चलता है कि सारी बड़ी कंपनियों ने ही बॉन्ड खरीदने का काम नहीं किया है। जयपुर की एक पॉवर सेक्टर में काम करने वाली कंपनी है- GENUS POWER INFRASTRUCTURES LIMITED। इस कंपनी 9 जनवरी को 15 करोड़ के बॉन्ड खरीदे थे। वहीं अगर कुल आंकड़े की बात करें तो वो 38.5 करोड़ बैठता है। एक और कंपनी जिसने दो नामों से बॉन्ड खरीदने का काम किया है, वो है- Pacifica। इस रीयल इस्टेट कंपनी के दो सब्सिडरी चल रहे हैं- PACIFICA INDIA PROJECTS PVT LTD और PACIFICA DEVELOPERS P LTD REFLECTIO।
अब जनवरी में एक तरफ PACIFICA DEVELOPERS P LTD REFLECTIO ने 75 लाख के बॉन्ड एक दिन में खरीदे, वहीं उसकी दूसरी कंपनी PACIFICA INDIA PROJECTS PVT LTD ने 40 लाख के बॉन्ड खरीदने का काम किया। इस कंपनी पर भी कुछ आरोप लगे हुए हैं, Gujarat Real Estate Regulation Authority (RERA) के पास शिकायत भी दर्ज चल रही है।