लोकसभा चुनाव में भाजपा के अपने दम पर 300 से अधिक सीटें जीतने का असर एनडीए के घटक दलों पर भी साफ दिखाई दे रहा है। एनडीए के सहयोगी दल का रवैया मंत्री पद को लेकर नरम दिखाई दे रहा है। भाजपा के सहयोगी दल जदयू, लोजपा, शिवसेना, अपना दल और अन्य दल अब मोदी कैबिनेट में मंत्री पद की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

शिवसेना के एक नेता ने इकोनॉमिक्स टाइम्स से बातचीत में कहा कि हम भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी हैं, कुछ महीने तक राहें अलग रहने के बावजूद विचारधारा के मुद्दे पर हम दोनों दलों के बीच कोई अंतर नहीं है। शिवसेना मंत्रिमंडल में तीन मंत्री पद जिसमें दो कैबिनेट और एक राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार शामिल है, को लेकर भाजपा के साथ चर्चा कर रही है।

जदयू भी एनडीए सरकार में हिस्सेदारी चाहती है लेकिन पार्टी के मुखिया नीतीश कुमार ने इस बारे में अभी भाजपा से बात नहीं की है। पार्टी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से कैबिनेट में मंत्रिपद की संख्या पर बातचीत करेगी। अरुणाचल में भाजपा इस बार सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है। वहां जदयू मुख्य विपक्ष की भूमिका में है।

जनता दल यूनाइटेड के एक वरिष्ठ नेता ने कहा चूंकि हम एनडीए का हिस्सा हैं, ऐसे में हम अरुणाचल में भाजपा के साथ मिलकर काम करेंगे। जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि हमारे नेता जॉर्ज फर्नानडीज एनडीए के संयोजक रह चुके हैं। बिहार में हमने भाजपा को कैबिनेट में उचित प्रतिनिधित्व दिया है। ऐसे में हम उम्मीद कर रहे हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी दिल्ली में हमारे साथ न्याय करेंगे।

एलजेपी से राम विलास या चिरागः लोकजन शक्ति पार्टी की तरफ से भी मोदी कैबिनेट में पिछली बार की तरह एक सीट तय मानी जा रही है। राम विलास पासवान चाहते  हैं कि उनके बेटे को मंत्रिमंडल में जगह मिले। वहीं चिराग पासवान अपने पिता के लिए एक और कार्यकाल चाहते हैं। ऐसे में देखना होगा कि मोदी कैबिनेट में चिराग या रामविलास पासवान किसे मौका मिलता है।