भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) के चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की चुनाव आयोग से छुट्टी हो गई है। अशोक लवासा अब एशियाई विकास बैंक के उपाध्यक्ष बनने जा रहे हैं। अशोक लवासा का चुनाव आयोग से अपने कार्यकाल से पहले जाना निर्वाचन आयोग के इतिहास में सिर्फ दूसरी घटना है।

लवासा का अभी भारतीय निर्वाचन आयोग में अभी दो साल से अधिक का कार्यकाल बचा हुआ है। अशोक लवासा ने 23 जनवरी 2018 को निर्वाचन आयोग में चुनाव आयुक्त के रूप में जॉइन किया था। उन्हें अक्टूबर 2022 में मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में रिटायर होना था। सूत्रों के अनुसार एडीबी में उनकी नियुक्ति को अंतिम रूप भारत सरकार की संस्तुति पर मिली है। बुधवार को इंडियन एक्सप्रेस ने उनसे जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने इस संबंध में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

लवासा उस समय सुर्खियों में आए थे जब 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को चुनाव आदर्श आचार संहिता के मामले में क्लीन चिट देने का विरोध किया था। चुनाव के तुरंत बाद लवासा के परिवार के तीन सदस्य जिसमें वह और उनकी पत्नी भी शामिल हैं , चुनाव आयोग के जांच के घेरे में आ गए थे। उनपर आय से अधिक संपत्ति और उसकी जानकारी नहीं देने का आरोप था।

उनके बेटे की कंपनी (Nourish Organic) और अशोक लवासा की बहन शकुंतला लवासा को भी आयकर विभाग की तरफ से नोटिस जारी किए गए। हालांकि, उनके परिवारवालों ने आयकर विभाग की तरफ से लगाए गए आरोपों से इनकार किया।

इंडियन एक्सप्रेस इस बात की पुष्टि नहीं करता है कि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया है या नहीं। लवासा यदि मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनते तो उनके कंधों पर उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा व अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी होती। समय से पहले उनके चुनाव आयोग से निकलना निर्वाचन आयोग के इतिहास की दूसरी घटना है।

इससे पहले सुशील चंद्र ने समय से पहले चुनाव आयोग आयुक्त के रूप में अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया था। वहीं, 1973 में मुख्य निर्वाचन आयुक्त नागेंद्र सिंह ने चुनाव आयोग में अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वे इंटरनेशन कोर्ट ऑफ जस्टिस में जज बने थे।

मालूम हो कि एशियाई विकास बैंक  (ADB) के उपाध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है, जिसे दो साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। एडीबी अध्यक्ष एक मैनेजमेंट टीम के प्रमुख होते हैं जिसमें छह उपाध्यक्ष होते हैं। लवासा मौजूदा उपाध्यक्ष दिवाकर गुप्ता की जगह लेंगे जो प्राइवेट सेक्टर ऑपरेशन और पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के प्रभारी थे। गुप्ता का कार्यकाल 31 अगस्त को पूरा हो रहा है।