इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में छेड़छाड़ और गड़बड़ी के आरोपों का सामना कर रहे चुनाव आयोग ने इसकी विश्वसनीयता साबित करने के लिए ओपन चैलेंज देने का फैसला किया है। पोल पैनल के सूत्रों के अनुसार, ”हम ओपन चैलेंज के लिए जल्द ही एक तारीख तय करेंगे। 2009 में भी चुनाव आयोग ने सभी के लिए ओपन चैलेंज जारी किया था जिसमें कहा गया था कि ईवीएम से छेड़छाड़ करके दिखाया जाए। कोई भी इसे साबित नहीं कर पाया था। उसके बाद से एक बार फिर इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस पर हमने फैसला किया है कि सभी शक और संदेहों को दूर करने के लिए एक बार फिर से इस प्रकिया को दोहराया जाए।” राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों और लोगों को इस चैलेंज में शामिल होने के लिए कहा जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, जिस भी व्यक्ति को इस पर संदेह है वह ओपन चैलेंज में शामिल हो सकता है। बता दें कि सोमवार (3 अप्रैल) को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग को चुनौती दी थी कि उन्हें 72 घंटे के लिए ईवीएम दी जाए, इसमें गड़बड़ी कर देंगे।
केजरीवाल ने इससे पहले आरोप लगाया था कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है। उन्होंने पंजाब विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार का ठीकरा भी ईवीएम पर ही फोड़ा। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे। सपा और कांग्रेस से भी इसी तरह की आवाजें आई थीं। इन पार्टियों ने चुनाव आयोग से कहा था कि या तो मशीनों को वोटर वेरिफाइबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) से जोड़ा जाए या फिर मशीनों का इस्तेमाल बंद किया जाए। एक अप्रैल को मध्य प्रदेश के भिंड में ट्रायल के दौरान वीपीपीएटी मशीन से दो बटन दबाने पर भाजपा की पर्ची निकलने के बाद मामला और गंभीर हो गया।
हालांकि चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज किया है। पिछले महीने की 16 तारीख को चुनाव आयोग ने बताया था कि 2009 में ओपन चैलेंज के दौरान आयोग की ओर से अवसर दिए जाने के बावजूद कोई भी चुनाव आयोग के मुख्यालय में मशीन में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं दिखा पाया। आयोग ने बताया कि उस समय कई लोग फेल हो गए और कई ने मशीन के साथ प्रदर्शन ही नहीं किया।