पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में रामनवमी के अवसर पर जुलूस निकाले जाने के दौरान हुई हिंसा को रोकने में कथित तौर पर नाकाम रहने को चुनाव आयोग ने गंभीरता से लिया है। आयोग ने सफल रहने पर शुक्रवार को दो पुलिस थानों के प्रभारियों को निलंबित कर दिया। चुनाव आयोग के अनुसार, निर्देशों के बावजूद शक्तिपुर और बेलडांगा पुलिस थानों के प्रभारी ‘‘धार्मिक हिंसा’’ को रोकने में विफल रहे। एक अधिकारी ने बताया, ‘‘दोनों अधिकारी जिला पुलिस मुख्यालय में रहेंगे और चुनाव संबंधी कोई भी कार्य नहीं कर पाएंगे। संबंधित अधिकारियों को दोनों अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी से उनके स्थान पर नियुक्ति के लिए नाम भेजने को कहा है।

पूर्वी मेदिनीपुर में भी हिंसक झड़प देखने को मिली थी

रामनवमी के अवसर पर केवल मुर्शिदाबाद ही नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर में भी हिंसक झड़प देखने को मिली थी। यहां पर हुई हिंसा में तकरीबन 4 लोग घायल हो गए। बीजेपी ने आरोप लगाया कि शोभायात्रा पर पत्थर बरसाए गए। पुलिस को भीड़ को हटाने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले भी दागने पड़े थे।

नंदीग्राम में बीजेपी का दफ्तर जलाने का भी आरोप

भारतीय जनता पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि उनकी पार्टी के पांच कार्यकर्ताओं को अरेस्ट किया गया है। बीजेपी की उम्मीदवार अग्निमित्रा पॉल मौके पर पहुंची और पार्टी कार्यकर्ताओं को तुरंत छोड़ने की मांग की। पॉल की अगुवाई में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने टायर जलाए और बेल्डा-कांठी के रास्ते को बंद कर रातभर विरोध प्रदर्शन किया। वहीं, पार्टी ने आरोप लगाया कि नंदीग्राम में बीजेपी का दफ्तर जला दिया गया।

भारतीय जनता पार्टी के नेता शुभेंदु अधिकारी ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को रामनवमी पर हुई झड़प को लेकर चिट्ठी लिखी थी। उन्होंने मुर्शिदाबाद के रेजीनगर इलाके में रामनवमी जुलूस के दौरान हुई झड़पों की जांच एनआईए से कराने की मांग की थी। जुलूस पर छतों से पथराव किए जाने से करीब 20 लोग घायल हो गए थे। पूरे इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई थी।

बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि मुख्यमंत्री के भड़काऊ भाषण की वजह से पश्चिम बंगाल राज्य में अलग-अलग स्थानों पर रामनवमी के जुलूसों को बाधित किया गया और उन पर हमला किया गया। उपद्रवियों को उकसाया गया। इन सभी को आश्वासन दिया गया था कि कानून प्रवर्तन एजेंसी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगी क्योंकि उनके हाथ बंधे हुए हैं।