चुनाव आयोग ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) एस वाई कुरैशी के इस आरोप से इंकार किया है कि आयोग ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान नफरत भरे भाषणों के मामले में उचित तरीके से सजा नहीं दी। आयोग ने कहा कि जब कुरैशी आयोग की अगुवाई कर रहे थे तो जनप्रतिनिधित्व कानून और आईपीसी के तहत नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी।
चुनाव आयोग ने पूर्व चुनाव आयुक्त को इंडियन एक्सप्रेस में लिखे गए उनके आलोचनात्मक लेख के लिए पत्र भेजा है। सीनियर डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर डॉ. संदीप सक्सेना की ने पत्र में लिखा, चुनाव आयोग 11 फरवरी 2020 से पहले कराए गए आम चुनाव और विधानसभा के दौरान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ की कार्रवाई पर एक रिपोर्ट प्रकाशित करने की योजना बना रहा है।
आयोग ने लिखा कि जब आप मुख्य चुनाव आयुक्त के कार्यालय का कामकाज देख रहे थे, उस दौरान आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता के तहत जारी नोटिसों और कार्रवाई की सूची संलग्न है। उन्होंने कहा, ‘‘आप कृपा करके इसे पढ़ सकते हैं। संलग्न सूची से देखा जा सकता है कि तत्कालीन आयोग ने इस अवधि में जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धाराओं 123 और 125 के तहत तथा आईपीसी (भारतीय दण्ड संहिता) की धारा 153 के तहत कोई कार्रवाई नहीं की।’’
जुलाई 2010 से जून 2012 तक सीईसी रहे कुरैशी से इस बारे में प्रतिक्रिया लेने के लिए उन्हें फोन से संपर्क का प्रयास किया गया। हालांकि उनसे बात नहीं हो सकी और उन्होंने मैसेज का भी कोई जवाब नहीं दिया। मालूम हो कि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने 8 फरवरी को इंडियन एक्सप्रेस में एक आलेख में लिखा था कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि चुनाव आयोग ने दिल्ली चुनाव के प्रचार के दौरान नफरत वाले भाषणों पर उचित कार्रवाई नहीं की।
उनका कहना था कि दिल्ली चुनाव में प्रचार के दौरान भड़काउ भाषण देने वालों के खिलाफ चुनाव आयोग को एफआईआर दर्ज करने के आदेश देने चाहिए थे। इसके जवाब में चुनाव आयोग की तरफ से भेजे पत्र में कहा गया है कि कार्रवाई तो आपने भी नहीं, फिर हमें क्यों जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। चुनाव आयोग की तरफ से भेजे गए पत्र के साथ उनके लेख की प्रति भी अटैच की गई है।