लोकसभा चुनाव होने में अब कुछ ही समय रह गया है। इसको लेकर राजनीतिक दलों के साथ-साथ चुनाव आयोग ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी है। सोमवार को चुनाव आयोग ने सियासी दलों और उम्मीदवारों को राजनीतिक अभियानों और रैलियों में किसी भी तरह से बच्चों के इस्तेमाल करने से बचने की हिदायत दी। आयोग ने सभी दलों, उम्मीदवारों और चुनावी काम में लगे लोगों और मशीनरी को एक निर्देश जारी कर चुनाव संबंधी कार्यों और अभियानों की गतिविधियों में बच्चों को किसी भी रूप में शामिल नहीं करने को कहा है। निर्देश में साफ तौर पर कहा गया है कि ऐसा करना बिल्कुल स्वीकार नहीं होगा।
पोस्टर, पर्चे बांटने और नारेबाजी में भी बच्चों को शामिल करने पर रोक
आयोग ने यह भी कहा कि राजनीतिक दल पोस्टर और पर्चे बांटने या नारेबाजी आदि गतिविधियों और दूसरे तरह के प्रचार कार्य में भी बच्चों का उपयोग न करें। इन निर्देशों में बच्चे को गोद में लेने, वाहन में बच्चे को ले जाने या रैलियों में शामिल करने पर भी मनाही होने की बात शामिल है। चुनाव आयोग ने अपने बयान में कहा, “यह मनाही कविता, गाने, बोले गए शब्दों, राजनीतिक दल या उम्मीदवार के प्रतीक चिन्ह के प्रदर्शन सहित किसी भी रूप से राजनीतिक अभियान की झलक बनाने के लिए बच्चों के उपयोग पर भी लागू होगा।”
चुनाव आयोग ने साफ किया कि किसी राजनीतिक नेता के निकट अपने माता-पिता या अभिभावक के साथ एक बच्चे की मौजूदगी को दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा। शर्त यह है कि वह बच्चा राजनीतिक दल की किसी भी चुनाव प्रचार गतिविधि में शामिल नहीं हो।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए उनसे लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में सक्रिय भागीदार बनने का आग्रह किया है। उन्होंने सभी दलों और उम्मीदवारों से अगले संसदीय चुनावों के मद्देनजर इन बातों पर गौर करने का आग्रह किया है। इसके अलावा सभी दलों और उम्मीदवारों को बाल श्रम निषेध और नियमन कानून 1986, जिसमें 2016 में संशोधन किया गया था, उसका भी पूरी तरह से पालन करने को कहा है।