उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए वोटिंग से पहले चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लिया है। चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार के दो अतिरिक्त सचिवों को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए 9 सितंबर को वोटिंग होगी। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने महाराष्ट्र के गवर्नर सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है। जबकि इंडिया गठबंधन ने बी सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है। रेड्डी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस रह चुके हैं।
कब है चुनाव?
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 21 अगस्त नामांकन का आखिरी दिन था। हालांकि दोनों उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल कर दिया है। 25 अगस्त नामांकन वापसी की आखिरी तारीख है। अगर दोनों उम्मीदवारों में से कोई नामांकन वापस नहीं लेता है, तभी 9 सितंबर को चुनाव होगा।
कैसे होता है चुनाव?
बता दें कि उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल सांसद वोटिंग करते हैं। ऐसे में राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों को मिलाकर इलेक्टोरल कॉलेज बनाया जाता है। वर्तमान में अगर हम संसद के दोनों सदनों में सांसदों की संख्या का जिक्र करें तो यह 782 होता है। यानी उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए 392 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी। वर्तमान में लोकसभा में 542 जबकि राज्यसभा में 240 सांसद हैं।
बीजेपी ने सीपी राधाकृष्णन को ही उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए क्यों चुना?
आंकड़ों के अनुसार एनडीए के पास 427 सांसदों का समर्थन है। वहीं विपक्ष के पास 355 सांसदों का समर्थन है। एनडीए के 293 लोकसभा सांसद हैं जबकि 134 राज्यसभा सांसद हैं। वहीं विपक्ष में 249 लोकसभा सांसद और 106 राज्यसभा सांसद हैं।
कौन हैं सुदर्शन रेड्डी?
इंडिया गठबंधन नेके उम्मीदवार सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी हैं। बी सुदर्शन ने हैदराबाद में ही पढ़ाई की और 1971 में उस्मानिया यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल की। इसके बाद वह 1971 में ही एडवोकेट के तौर नामांकित हुए। उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में रिट और सिविल मामलों में प्रैक्टिस की है। सुदर्शन ने 1988-90 के दौरान हाईकोर्ट में सरकारी वकील के तौर पर काम किया। उन्होंने उस्मानिया यूनिवर्सिटी के लिए कानूनी सलाहकार और स्थायी वकील के रूप में काम किया। सुदर्शन को 2 मई 1995 को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया। इसके बाद उन्हें 2005 में गुवाहाटी हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। वह 2007 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने और 2011 में रिटायर हुए।