Jammu Kashmir LG Interview: जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 के प्रावधान हटाए जाने के सोमवार को पांच बरस पूरे हुए हैं। इस पांचवी वर्षगांठ से करीब कुछ दिन पहले जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने श्रीनगर में अपने ऑफिस में इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार वैद्यनाथ अय्यर से बातचीत की है।
विकास को लेकर क्या बोले उपराज्यपाल
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि मैं पिछले पांच सालों की बात करूंगा। हमने जम्मू-कश्मीर में शांति और काफी विकास किया है। मेरा मानना है कि 5 अगस्त 2019 ने इस यात्रा में बहुत ही अहम भूमिक निभाई है। पीएम मोदी के नेतृत्व में हमने आम आदमी की विकास की जरुरी इच्छाओं को पूरा करने में काफी हद तक कामयाबी हासिल की है।
हम बिना किसी भेदभाव के हर व्यक्ति को सही और बराबर अवसर देने में भी सफल रहे हैं। स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, हॉस्पटिल और कारोबार जैसे सभी संस्थान बिना किसी हड़ताल, विरोध या पत्थरबाजी के चल रहे हैं। पिछले पांच सालों के काम के आधार पर जम्मू-कश्मीर में 58.46 फीसदी रिकॉर्ड वोटिंग हुई। यह 35 सालों में सबसे ज्यादा है। आजादी के बाद पहली बार जी-2- की एक मीटिंग भी श्रीनगर में हुई थी। भारत दुनिया को संदेश देने में कामयाब रहा है। लोकसभा चुनावों के जरिये लोगों का लोकतंत्र में विश्वास कायम हुआ है। वे मानते हैं कि जम्हूरियत ही आगे का रास्ता है। लोग पुराने नारों से बाहर आ गए हैं।
कश्मीर में कोई घटना नहीं, लेकिन जम्मू चिंता का विषय
मनोज सिन्हा ने कहा कि जहां तक सिक्योरिटी का सवाल है, तो स्थिति काफी बेहतर है। हां, पिछले एक-डेढ़ साल में जम्मू में कुछ घटनाएं हुई हैं। लेकिन इससे निपटने के लिए हमारे पास खास रणनीति है। हालांकि, अगर आप लोगों की हत्या या सुरक्षाकर्मियों की हत्या जैसे सभी आंकड़े पर नजर डाले तो इसमें भारी गिरावट आई है। खास तौर पर कश्मीर में सुरक्षा बलों ने लगभग सभी बड़े आतंकी कमांडरों को मार गिराया है। मोदी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति लागू है।
370 हटने के 5 साल: इस चूक को नजरअंदाज नहीं कर सकते, जम्मू में बढ़े आतंकी हमलों की असल कहानी
हमारे पड़ोसी को शांति और विकास व लोकसभा का सही आयोजन हजम नहीं हो रहा है। उसकी अपनी कुछ आंतरिक समस्याएं हैं। इसलिए वह पिछले 12-18 महीनों से जम्मू क्षेत्र को अशांत करने की कोशिश कर रहा है। पिछले 2-3 महीनों में कुछ अफसोसजनक घटनाएं हुई हैं। यह सही है कि लंबे समय तक स्थिति सामान्य रहने की वजह से पुलिस या सीआरपीएफ की तैनाती कम हो गई थी। लेकिन मुझे नहीं लगता कि ऐसा जम्मू से लद्दाख में सेना भेजने के कारण हुआ है। जम्मू में शांति कायम रहने के कारण सेना भेजी गई थी। गृह मंत्री की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में पुलिस, सीआरपीएफ और सिक्योरिटी फोर्स की तैनाती में तेजी लाने का फैसला लिया गया है।
जम्मू के हालात पर आप कितने चिंतित?
एलजी ने कहा कि स्थिति काफी निराशाजनक है। मुझे भरोसा है कि हम इससे सही तरीके से निपट लेंगे। यह भी पाकिस्तान की साजिश है। सबसे बड़ी चुनौती भर्ती को लेकर है। सेना घुसपैठ का पूरी तरह से ख्याल रखेगी। सेना और पुलिस इससे निपट लेंगे। हमारे पास इनपुट है कि कुछ घुसपैठ हुई है। जैसा कि मैंने पहले कहा कि बलों ने पोजीशन लेना शुरू कर दिया है। जम्मू के लोगों ने उग्रवाद का मुकाबला किया है। वीडीसी सदस्यों को भी हथियार देने का फैसला किया गया है। गृह मंत्री इस पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।
क्या कश्मीर में आतंकवाद के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति ही शांति और स्थिरता की वजह है?
पिछले कुछ दिनों में श्रीनगर में रहने के दौरान आपने देखा होगा कि आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति ने इस बात को पक्का किया है कि सड़कों पर कोई हिंसा न हो। आम आदमी शहर की नाइट लाइफ का भी लुत्फ उठाता है। लाल चौक, पोलो व्यू और झेलम रिवर फ्रंट पर आपको लोग और चहल-पहल दिखेगी। आप म्यूजिक वगैरह देख पाएंगे। यह एक काफी बड़ा बदलाव है।
जीरो टॉलरेंस की नीति पर अंकुश लगाना?
पिछले पांच सालों में व्यवस्था में काफी कामयाबी मिली है। इसके नतीजे भी हमें देखने को मिले हैं। जब मैं यहां आया था, मुझे याद है कि लोगों को केवल 26 सेवाएं ऑनलाइन दी जा रही थीं। अब 1,140 सेवाएं ऑनलाइन हैं। हम केंद्र शासित प्रदेश कैटेगरी में शासन के तौर पर देश में नंबर एक पर हैं। हमने लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत सभी सेवाओं को ऑटो अपील मोड के तहत रखा है। मान लीजिए, आपको जमीन के किसी भी रिकॉर्ड की जरुरत है तो इसजी जारी करने के लिए तहसीलदार ही एक अधिकारी है। आप इसके लिए ऑनलाइन आवेदन दे सकते हैं। पीएसजी अधिनियम के तहत आपको यह 15 दिनों में मिल जाना चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो यह बड़े अधिकारियों तक बढ़ जाएंगे।
आप राज्य की अर्थव्यवस्था को कहां देखते हैं?
पिछले कुछ सालों में काफी सुधार हुआ है। हर एक रुपये का हिसाब रखा जाता है। राज्य का जीएसडीपी 2018-19 में 1,59,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 2023-24 में 2,45,000 करोड़ रुपए हो गया है। इस टाइम जीएसटी कलेक्शन 5,134 करोड़ रुपये से बढ़कर 9,700 करोड़ रुपए हो गया है। लिक्वर से 1,219 करोड़ रुपए से बढ़कर 2,400 करोड़ रुपए हो गया है, स्टांप ड्यूटी 265 करोड़ रुपए से बढ़कर 650 करोड़ रुपए हो गया है। कुल मिलाकर पीएमडीपी के तहत खर्च 21,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 50,000 करोड़ रुपये हो गया है। पिछले चार सालों के दौरान योग्यता के आधार पर लगभग 42,000 सरकारी नौकरियां भरी गई हैं। हाल ही में हुई परीक्षा में लगभग 10,000 और लोगों की भर्ती की जाएगी।
सिन्हा ने कहा कि जहां तक इंडस्ट्री का सवाल है तो आजादी के बाद से इंडस्ट्री में करीब 14 हजार करोड़ रुपये का इन्वेस्ट हुआ है। 7,000 करोड़ रुपये का इवेंस्ट पहले ही हो चुका है। करीब 20,000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। हमें 1,25,000 करोड़ रुपये के इंवेस्टमेंट के प्रस्ताव मिले हैं। पिछले साल पर्यटकों की आमद भी ढाई गुना बढ़कर 2.11 करोड़ हो गई है। हमने अब तक 75 ऑफबीट साइट्स की भी पहचान की है।
तो क्या आप विधानसभा चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार हैं? क्या यह सितंबर तक हो जाएगा?
मनोज सिन्हा ने विधानसभा चुनाव के बारे में भी जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि मैं इस सवाल का जवाब कुछ इस तरह से दूंगा। भारत में चुनाव नहीं होंगे, यह संभव नहीं है। चुनाव होने ही चाहिए। जब संसद में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम पारित हुआ था, तब गृह मंत्री ने तीन बातें कही थी। इसमें पहली परिसीमन। लोग अक्सर इसे राजनीतिक शब्दों में बयां करते हैं। लेकिन साफतौर पर असली बात यह है कि परिसीमन के बिना चुनाव नहीं हो सकते। सीमा कौन तय करेगा? जम्मू-कश्मीर सरकार नहीं कर सकती। और यह एक लंबा प्रोसेस है। जस्टिस रंजना देसाई के नेतृत्व में परिसीमन आयोग तीन बार जम्मू-कश्मीर आया। राजनीतिक दलों ने दिल्ली में आयोग से मुलाकात भी की। आखिर में रिपोर्ट भी आ गई। उसके बाद विधानसभा चुनाव। चुनाव आयोग अब केंद्र शासित प्रदेश का दौरा कर रहा है। जब प्रधान मंत्री यहां थे, तो उन्होंने भी कहा था कि चुनाव जल्द से जल्द होंगे। चुनाव आयोग तारीखें तय करेगा। चुनावों को लेकर कोई शक नहीं होना चाहिए।
पंचायती चुनावों के बारे में क्या बोले मनोज सिन्हा
मनोज सिन्हा ने कहा कि डीडीसी के चुनाव 2020 के आखिर में हुए थे। जम्मू और कश्मीर के सभी जिलों में डीडीसी पार्षद हैं। लेकिन पंच और शहरी स्थानीय निकायों का कार्यकाल खत्म हो गया है। यहां ओबीसी के लिए कोई आरक्षण नहीं था। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के बाद कई ओबीसी और एसटी को आरक्षण मिला है। लोकसभा चुनाव से एक महीने पहले रिजर्व सीटों की पहचनान करने के लिए रिटायर जस्टिस की कमेटी का गठन किया गया था। इसलिए विधानसभा चुनावों के तुरंत बाद पंचायतों और स्थानीय निकायों के चुनाव भी करवाएं जाएंगे।
क्या लोगों ने जमीन भी खरीदी है?
पीएम आवास योजना के तहत हमने 478 परिवारों को जमीने देने का फैसला किया है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि वह अपना घर बना सके। मैंने जनसभाओं में लोगों से पूछा कि क्या बाहर से एक भी शख्स को जमीन मिली है? हकीकत ये है कि सिर्फ वही शख्स PMAY का फायदा ले सकता है जो 2017 की जनगणना में शामिल हो। मैं चाहकर भी किसी शख्स को जोड़ नहीं सकता। मैं पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूं कि बाहर से किसी ने खेती की जमीन नहीं खरीदी है। खेती की जमीन की पूरी सुरक्षा है और नौकरियों की पूरी सुरक्षा है।
लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड वोटिंग हुई है। इंजीनियर रशीद की जीत को आप किस तरह देखते हैं? कई लोगों का कहना है कि उस समय कुछ लोगों द्वारा लगाए गए नारे अलगाववादी भावनाओं को दिखाते थे। मैं चुनाव नतीजों को लोकतंत्र में लोगों की आस्था के तौर पर देखता हूं। मैं वोटर्स की समझदारी पर सवाल खड़े नहीं करना चाहता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि नेताओं ने वही कहा है जो वे कहना चाहते हैं। जनता जिसे चाहे उसे चुनने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन मैं यह कहना चाहूंगा कि हम घाटी में कट्टरपंथ को फिर से जड़ें जमाने नहीं देंगे।
मैं साफ तौर पर कहना चाहता हूं कि मैं रचनात्मक आलोचना का स्वागत करता हूं। लेकिन हमें जम्मू-कश्मीर में एक बारीक रेखा का ध्यान रखना होगा। देश की सुरक्षा को खतरे में नहीं डालना चाहिए। जो लोग इस लाल रेखा का ध्यान रखते हैं, वे किसी भी चीज की आलोचना कर सकते हैं। सरकार में सुधार की हमेशा गुंजाइश रहती है। मैं पत्रकार मित्रों से कहना चाहता हूं कि वे आलोचना करने के लिए स्वतंत्र हैं, सुझाव देने के लिए स्वतंत्र हैं और मुझे इस पर बात करने में खुशी होगी। कम बारिश होने की वजह से पानी की कमी हुई है। पानी का स्तर भी काफी गिर गया है। जल जीवन मिशन पर काम चल रहा है। करीब 20 फीसदी लोग अभी भी जल जीवन मिशन के दायरे में नहीं आ पाए हैं। मैं इसे मानता हूं। पानी की कमी ना हो इसके लिए टैंकर भी लगाए जा रहे हैं।
कई मामलों में एफआईआर दर्ज नहीं की गई है और लोगों को अपना बचाव पेश करने का मौका नहीं मिला है?
मेरे पास सारे अधिकार और पूरी जिम्मेदारी होने के बाद भी एक भी मामले में ऐसा नहीं हुआ है। इनमें से हर शख्स के बारे में पूरी डोजियर बनाई जाती है। एक कमेटी इसका अध्ययन करती है। कानून डिपार्टमेंट की तरफ से इसकी जांच की जाती है। फिर यह मेरे पास आता है। मैं आपको किसी भी मामले की जानकारी दे सकता हूं।
क्या सही प्रक्रिया के तहत आरोपी को अवसर नहीं दिया जाना चाहिए?
ऐसा एक भी मामला नहीं है, जिसमें FIR न हुई हो, जिसमें इतिहास न हो, पुख्ता सबूत न हों। सिर्फ एक FIR नहीं, कई FIR हो सकती हैं। इस बात के सबूत हो सकते हैं कि वो शख्स बार्डर पार किसी से बात कर रहा है। जब संविधान में आर्टिकल 311 बनाया जा रहा था, तब इस पर बहस हुई थी। सरदार पटेल ने खुद कहा था कि अगर राज्य को खतरा है और उसके पुख्ता सबूत हैं, तो उस शख्स को मौका देने की जरूरत नहीं है।
एक बार चुनी गई सरकार बन जाए तो आप अपनी क्या भूमिका देखते हैं?
चुनी हुई सरकार के पास बहुत सारी शक्तियां होंगी। हमारे संविधान में सभी की शक्तियां दी हुई हैं। अगर सभी संविधान के हिसाब से काम करें तो कोई भी परेशानी नहीं होगी। हमारे देश में ऐसे उदाहरण हैं। एक नहीं, बहुत सारे। अगर हम संविधान में दी गई शक्तियों के दायरे में रहेंगे तो सब ठीक रहेगा। मैं चुनी हुई सरकार के साथ मिलकर शांति, समृद्धि और विकास के लिए एक बैलेंस करने की कोशिश करूंगा। क्या हर कोई यही नहीं चाहता?
सरकार विधानसभा में 370 को बहाल करने के लिए प्रस्ताव पारित करे तो आप इसे कैसे देखेंगे?
देश के सबसे बड़े कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला दे दिया है। अब इसमें कानूनी जांच की कोई गुंजाइश नहीं है। मैं समझता हूं कि जो लोग संविधान की शपथ लेते हैं, उन्हें यह याद रखना चाहिए कि देश के कानून के खिलाफ जाना, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जाना, उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। जो काम आपके अधिकार क्षेत्र में नहीं है, उसे करने की कानूनी पवित्रता क्या है? यह सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद तय किया है। उसके बाद कोई गुंजाइश नहीं है।