केंद्र सरकार के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में नौ यूनियनों के सम्मिलित संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंकिंग यूनियन ने दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल के पहले दिन बिहार की तमाम बैंक शाखाओं में ताला लटका रहा। बिहार राज्य पंजाब नेशनल बैंक कर्मचारी संघ के नेता एपी सिंह के मुताबिक केवल भागलपुर में तकरीबन 400 करोड़ रुपए के लेनदेन पर असर पड़ा है। और बिहार में तो अरबों रुपए का लेनदेन ठप रहा। बिहार में निजी क्षेत्र की बैंक आईसीआईसी ,एचडीएफसी, आईडीबीआई बगैरह की शाखाओं को भी खुलने नहीं दिया गया। निजी बैंकों का कारोबार भी बंद रहा।
उन्होंने हड़ताल को सफल बताते हुए कहा कि बैंककर्मियों की एक जुटता की यह मिसाल है। मंगलवार 16 मार्च को भी बंद की अपील है। सरकार के निजीकरण के फैसले से रोजगार प्रभावित तो होगा ही, साथ ही ग्रामीण शाखाएं बंद होगी। कर्मचारियों की छंटनी होगी। सोमवार सुबह से ही कर्मचारियों व अधिकारियों की टोलियां स्टेट बैंक, आईसीआईसी बैंक, इंडियन बैंक के जोनल , पंजाब नेशनल बैंक के मंडल दफ्तरों और दूसरे बैंकों की शाखाओं के बाहर बैठ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। एटीएम के ताले भी बंद रहे। लोगों को लेनदेन न होने से काफी परेशानी हुई।
इस मौके पर बैंक यूनियनों के नेता अरविंद राम, एपी सिंह, एनके सिंहा, वीपी घोष, सुमित आनंद,मनोज घोष,संजीव कुमार सिंह, एनके मिश्र, मृत्युंजय कुमार पांडे, पंकज कुमार ,राजीव रंजन बगैरह ने संबोधित किया और मंगलवार 16 मार्च को भी इसी जोश के साथ हड़ताल सफल बनाने की अपील की। हड़ताल के चलते बैंक शाखाओं में पैसा निकालने और जमा करने, चेक क्लीयरेंस और ऋण मंजूरी जैसी जरूरी सेवाओं पर असर पड़ा है। ऑल इंडिया बैंक इम्प्लॉइज एसोसिएशन (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने भी इस संवाददाता से बातचीत में 10 लाख बैंककर्मियों के हड़ताल में शामिल होने का दावा किया है।
हालांकि इस दौरान भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सहित कई सरकारी बैंकों ने अपने ग्राहकों को पहले ही सूचित कर दिया था कि यदि हड़ताल होती है, तो उनका सामान्य कामकाज शाखाओं और कार्यालयों में प्रभावित हो सकता है। ध्यान रहे कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में एलान किया था कि सरकार ने इस साल दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के निजीकरण का फैसला किया है। सरकार इससे पहले आईडीबीआई बैंक में अपनी ज्यादातर हिस्सेदारी भारतीय जीवन बीमा निगम को बेच चुकी है। पिछले चार साल में सार्वजनिक क्षेत्र के 14 बैंकों का विलय किया जा चुका है।
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा कि 4, 9 और 10 मार्च को अतिरिक्त मुख्य श्रम आयुक्त के साथ हुई बैठकें बेनतीजा रही । इसलिए हड़ताल पर जाना पड़ा है। बिहार की राजधानी पटना समेत पूरे राज्य में भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के खिलाफ बैंक कर्मचारी हड़ताल पर हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। भागलपुर में प्रदर्शन कर रहे एक बैंक कर्मचारी नंदकिशोर अग्रवाल ने बताया, “बजट में सरकार ने दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की है, निजीकरण देश के हित में नहीं है।”
राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल में बैंकों की इन यूनियन के सदस्य शिरकत कर रहे है। ज्यादातर कर्मचारी व अधिकारी इन्हीं यूनियनों के सदस्य है यूएफबीयू के सदस्यों में ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन (एआईबीओसी), नेशनल कंफेडरेशन ऑफ बैंक इम्प्लॉइज (एनसीबीई), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईबीओए) और बैंक इम्प्लॉइज कंफेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईसीआई) आदि शामिल हैं। इंडियन नेशल बैंक एम्पलाईज फेडरेशन (आईएनबीईएफ), इंडियन नेशनल बैंक आफीसर्स कांग्रेस (आईएनबीओसी), नेशनल आर्गनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) और नेशन आर्गनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफीसर्स (एनओबीओ) भी हड़ताल की अपील में शामिल हैं।
इधर व्यापारी वर्ग सरकार और बैंक कर्मचारी यूनियनों के बीच फंसा है। इनके लेनदेन का काम बंद है। व्यापारिक लेनदेन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। करोड़ों का लेनदेन रुक गया है। सरकारी योजनाओं के पैसे बतौर राहत , पेंशन या दूसरे मद में जमा होने थे , वह थम गया है। बिहार के भागलपुर शहर के व्यापारी सज्जन कुमार महेशका और शिवरतन झुनझुनवाला बताते है कि बिहार में हड़ताल की वजह से व्यापार अस्त-व्यस्त हो है। सरकारी नीतियों की वजह से बैंक हड़ताल का सीधा असर व्यापार पर पड़ा है। दो दिनों की बैंक हड़ताल का असर एक हफ्ते झेलना पड़ेगा। शनिवार और रविवार छुट्टी थी। सोमवार और मंगलवार हड़ताल हो गई। चार दिनों तक यूं ही चेकों का समाशोधन नहीं हुआ। बुधवार को समाशोधन गृह में चेक बैंकें प्रस्तुत करेगी। शुक्रवार तक खाते में बैलेंस आएगा। जाहिर है हड़ताल का असर एक हफ्ते तक झेलना पड़ेगा।
