हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल कांडा की मुश्किलें बढ़ गयी हैं, उनके घर और दफ्तरों पर ईडी की रेड हुई है। पिछले दिनों दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने एयर हॉस्टेस गीतिका शर्मा सुसाइड मामले में पूर्व मंत्री गोपाल कांडा को बरी कर बड़ी राहत दी थी । बुधवार सुबह ईडी ने PMLA के तहत MDLR ग्रुप के दफ्तरों पर रेड मारी है। अलग-अलग शहरों में यह छापेमारी हो रही है, गोपाल कांडा के घर और दफ्तरों में PMLA के तहत रेड की जा रही है।
एयर होस्टेस गीतिका शर्मा के परिवार ने आरोप लगाए थे कि 5 अगस्त, 2012 को उनकी बेटी ने दिल्ली के अशोक विहार स्थित अपने ही फ्लैट में सुसाइड कर लिया था, क्योंकि पूर्व मंत्री गोपाल कांडा ने गीतिका को काफी परेशान किया था। बता दें कि 26 जुलाई को गोपाल कांडा को एयरहोस्टेस गीतिका शर्मा मामले में बरी कर दिया गया था। कांडा के ऊपर गीतिका को खुदकुशी के लिए उकसाने, सबूतों को नष्ट करने और आपराधिक षडयंत्र का आरोप लगा था।
कौन हैं गोपाल कांडा
गोपाल कांडा ने अपनी राजनीतिक सफर 2009 में शुरू किया था उन्हें इनेलो ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय चुनाव लड़ा। उन्होंने 6 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की। गोपाल कांडा ने हरियाणा लोकहित पार्टी के नाम से अपना सियासी दल बना रखा है। 2019 के विधानसभा चुनाव में कांडा ने सिरसा विधानसभा सीट से अपनी पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद विधानसभा चुनाव में जब किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला तो बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई। गोपाल कांडा ने बीजेपी को बिना शर्त समर्थन का ऐलान किया।
एयर होस्टेस गीतिका शर्मा मामले में किन धाराओं के तहत दर्ज था मामला?
आरोपियों पर 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना), 506 (आपराधिक धमकी), 201 (सबूत नष्ट करना), 120 बी (आपराधिक साजिश) और 466 (जालसाजी) सहित विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे। ट्रायल कोर्ट ने कांडा के खिलाफ बलात्कार (376) और 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) के आरोप भी तय किए थे। हालांकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने बाद में आईपीसी की धारा 376 और 377 के तहत आरोपों को खारिज कर दिया।
एयर होस्टेस गीतिका शर्मा ने सुसाइड से पहले एक नोट लिखा था जिसमें गोपाल कांडा पर उत्पीड़न के आरोप लगाए गए थे। गीतिका ने सुसाइड नोट में लिखा था, “आज मैं अपने आप को खत्म कर रही हूं, क्यों कि मैं अंदर से टूट गई हूं. मेरे विश्वास टूट गया है और मेरे साथ धोखा किया गया. मेरी मौत के लिए दो लोग गोपाल कांडा और अरुणा अरुणा चड्ढा जिम्मेदार हैं. दोनों ने मेरे विश्वास को तोड़ा और अपने अपने फायदे के लिए मुझे इस्तेमाल किया।”