Delhi News: राजधानी दिल्ली में केंद्रीय जांच एजेंसी का एक ऑफिस 120 करोड़ की कीमत वाले फॉर्म हाउस में चल रहा है। यहां 100 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। यहां जब्त की गई 40 से ज्यादा पार्क की गई है, जिनमें से कई की कीमत तो एक करोड़ रुपये से ज्यादा की है, लेकिन अब इस प्रॉपर्टी को लेकर मामला कोर्ट पहुंच गया है। केंद्रीय बैंक यानी बैंक ऑफ इंडिया ने इसके कब्जे को लेकर कोर्ट का रुख किया है लेकिन सवाल वही है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि ईडी के अधिकारियों ने इस 120 करोड़ रुपये के फार्म हाउस को अपना घर बना लिया।
इस फॉर्म हाउस के बाहर मेन एंटरेंस पर पेंट से बड़े ईडी ऑफिस के बारे जानकारी है। यहां एक इनडोर स्वीमिंग पूल है जो पूरा खाली पड़ा है। यहां बेकार पड़ चुका फर्नीचर रखा गया है। यहां तक कि पूछताछ के लिए इस ईडी ऑफिस में ट्विन लॉक अप से लेकर पूछताछ का केंद्र भी है। 2.5 एकड़ में फैले इस विशाल फॉर्म हाउस में कुत्ता गाय समेत तमाम आवारा जानवरों की भी मौजूदगी है। पिल्लों को आलीशान बनी कैंटीन के पास कर्मचारी कुछ खिलाते नजर आ जाते हैं।
कहां है ईडी का यह शानदार ऑफिस
ईडी का यह ऑफिस पिछले दो साल से दक्षिणी दिल्ली के राजोकरी स्थित फॉर्म नंबर 22 में चल रहा है। यह कोई मेन ऑफिस नहीं हैं बल्कि गुरुग्राम जोनल का है, जिस पर कब्जे को लेकर अब बैंक द्वारा कोर्ट में चुनौती दी गई है। यह फॉर्म हाउस चारो ओर से देवदार के पेड़ों से घिरा हुआ है। वहीं जानकारी यह भी मिली है कि वहां करीब 100 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं।
यार्ड में खड़ी हैं 50 से ज्यादा कारें
इंडियन एक्सप्रेस की टीम ने जब यहां विजिट किया तो वहां 50 से ज्यादा कारें भी थी, जिनकी हालत काफी खराब थी। इनमें से कुछ कारों की कीमत एक करोड़ रुपये से ज्यादा की बताई जा रही है। वहीं इनको लेकर जब सवाल पूछा गया तो अधिकारियों ने बताया कि जब नई दिल्ली के ईडी मुख्यालय में अपराध से कमाई गई कारों की जब्ती के बाद पार्क करने में परेशानी हुई तो उन कारों को इस बड़े ईडी कार्यालय में ले आया गया। यहां कारों के लिए एक यार्ड के अलावा, एक बड़ा लिविंग रूम भी है जिसे ईडी द्वारा एजेंसी के प्रशिक्षण केंद्र के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
अदालती विवादों में फंसा ये फॉर्म हाउस
यह फॉर्महाउस मुकदमेबाजी में फंसता नजर आ रहा है। लोन की वसूली से लेकर पीएमएलए के मामले में फॉर्म हाउस का केस दिल्ली हाई कोर्ट के बाद अब पंचकूला कोर्ट पहुंचा है। इसके कब्जे को लेकर बैंक ऑफ इंडिया ने कोर्ट का रुख किया है। बता दें कि यह फॉर्म हाउस अतुल बंसल नाम के एक रियल इस्टेट एजेंट का था। वह ईडी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के केस में आरोपी बनाया गया था।
हालांकि उसकी मौत हो चुकी है। अतुल बंसल ने 2004 में यह फॉर्म हाउस खरीदा था और 2012 में इसे अन्य प्रॉपर्टी के साथ 111 करोड़ में गिरवी रख दिया था। 2017 में लोन देने वाले बैंक ने इसे कब्जे में ले लिया था। अतुल बंसल की कंपनी विजडम रियलटर्स ने इसे चुनौती दी थी।
पंचकूला कोर्ट में चल रहा है मामला
डीआरटी पहुंचे इस मामले में कब्जा स्थगित हो गया था। इसके बाद बैंक ने डीआरटी में फिर अपील की है। अब पंचकूला में बैंक की तरफ से पेस वकीलों ने कहा कि 2019 में ही पता चला कि ईडी ने पहले व्यापारी की संपत्ति कुर्क की थी और उसे जब्त कर लिया था, जबकि यह फॉर्म हाउस उसके पास गिरवी थी।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के वकील आलोक कुमार ने कहा है कि उनका मकसद बैंक का पैसा वसूल करना है। अगर उद्देश्य इस तथ्य से विफल हो जाता है कि कुर्की या जब्ती के बावजूद ईडी ने न तो संपत्ति बैंक को सौंपी है और न ही सार्वजनिक धन वसूलने के लिए इसकी नीलामी की, जिसके चलते यह प्रॉपर्टी NPA में बदल गई।
क्या है ED अधिकारियों का तर्क
इस मामले में ईडी के अधिकारियों का कहना है कि पीएमएलए की धारा 9 के प्रावधानों के तहत, ऐसी जब्त की गई संपत्तियां केंद्र सरकार के पास निहित रहती हैं और यह 12 सितंबर, 2023 को वित्त मंत्रालय की एक राजपत्र अधिसूचना थी, जिसने ईडी के विशेष निदेशकों को जब्त की गई संपत्ति को प्राप्त करने और निपटाने के लिए प्रशासक के रूप में कार्य करने की शक्तियां दी थी