सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को दी अंतरिम जमानत पर कहा कि इसमें किसी तरह का अपवाद नहीं था और फैसले पर आ रहे आलोचनात्मक विश्लेषण का हम स्वागत करते हैं। इस दौरान ईडी ने अरविंद केजरीवाल के रिहाई के बाद दिए गए कुछ बयानों पर आपत्ति जताई जिनमें दिल्ली सीएम ने कहा था कि इंडिया गठबंधन की सरकार आने की स्थिति में वह जेल नहीं जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सुनने से इनकार कर दिया।

दिल्ली शराब घोटाला मामले में अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था, जिसने आरोप लगाया था कि वह ‘घोटाले’ के पीछे ‘किंगपिन’ हैं। 

सुप्रीम कोर्ट को क्यों करनी पड़ी ये टिप्पणी? 

10 मई को अदालत ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए कहा था कि  वह दिल्ली के मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय दलों में से एक के नेता हैं जिनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और वे समाज के लिए खतरा नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को अपवाद कहा गया, कहा गया कि ऐसे ही कई और मामले में सामने आ सकते हैं, जब इस मामले को ग्राउंड बनाया जाएगा। 

जस्टिस न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और संजीव खन्ना आज सुनवाई में शामिल थे। जस्टिस खन्ना ने  कहा  कि यह कोई अपवाद नहीं था, हम फैसले की आलोचना का स्वागत करते हैं।

ED की आपत्ति पर दिया जवाब?

सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की उस दलील को सुनने से भी इनकार कर दिया जिसमें एजेंसी ने कहा था कि अरविंद केजरीवाल बार-बार रैलियों में कह रहे हैं कि इंडिया गठबंधन की सरकार आने पर उन्हें जेल नहीं जाना पड़ेगा। 

हम केजरीवाल के बयान पर नहीं जाएंगे। हमारा आदेश स्पष्ट है कि उन्हें कब सरेंडर करना है।  हम शीर्ष अदालत हैं और कानून का शासन इसी से संचालित होगा। हमने किसी के लिए अपवाद नहीं बनाया। यह बात जस्टिस खन्ना ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को दिए जवाब में कही है। तुषार मेहता ने कहा कि अरविंद केजरीवाल के बयान सुप्रीम कोर्ट को थप्पड़ मारने जैसे हैं।