देश का आभूषण उद्योग ‘मंदी’ के दौर से गुजर रहा है। लोग इन दिनों आभूषणों की खरीददारी कम रहे हैं। जिसका सीधा असर आभूषण उद्योग पर पड़ रहा है। इससे कुशल कारीगरों के समक्ष रोजगार का संकट पैदा हो सकता है। अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद (Gem and Jewellery Domestic Council (GJC)) ने सोमवार को यह बात कही। परिषद ने इसके साथ ही आयातित सोने पर सीमा शुल्क की दरें कम करने और आभूषणों पर जीएसटी की दर घटाने की मांग की है।
आम बजट 2019-20 में आयातित सोने पर सीमा शुल्क 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत किया गया था। वहीं आभूषण पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर तीन प्रतिशत तय की गई है। पूर्ववर्ती मूल्य वर्धित कर (वैट) प्रणाली में यह एक प्रतिशत थी।
परिषद के वाइस चेयरमैन शंकर सेन ने कहा, ‘कमजोर मांग से आभूषण उद्योग मंदी के दौर से गुजर रहा है। इससे हजारों कुशल कारीगरों का रोजगार छिनने का अंदेशा पैदा हो गया है।’ उन्होंने कहा कि सीमा शुल्क में वृद्धि तथा जीएसटी की मौजूदा दर से उपभोक्ता धारणा प्रभावित हो रही है क्योंकि इससे आभूषणों की कीमतों में इजाफा हुआ है।
सेन ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमारी मांग है कि सीमा शुल्क की दर को 12.5 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत किया जाए। जीएसटी की दर को भी एक प्रतिशत पर लाया जाए।’ उन्होंने कहा कि ऊंचे सीमा शुल्क की वजह से सोने की तस्करी भी बढ़ी है। सेन ने कहा कि एक तरफ सरकार भारतीय कुशल कारीगरों को वैश्विक स्तर पर ले जाने की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ सरकार की नीतियां कुशल कारीगरों को अपने अनुभव और विशेषज्ञता के साथ यह पेशा छोड़ने को मजबूर कर रही हैं।
GJC ने मांग की है कि इस सेक्टर की 55 लाख नौकरियों को बचाने के लिए सरकार गोल्ड पॉलिसी में बड़े बदलाव करे। सेन ने कहा कि सरकार को पैन कार्ड पर खरीददारी की सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर 5 साथ तक देना चाहिए।
(भाषा इनपुट के साथ)