संसद के कल से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में सरकार द्वारा विपक्ष के एक वर्ग के विरोध की परवाह न करते हुए आर्थिक एजेंडे को आगे बढ़ाये जाने की योजना के चलते इस सत्र में गर्मी बढ़ने की आशंका है।  बीमा क्षेत्र में अधिक विदेशी निवेश को अनुमति देने के लिए बहुत दिनों से लंबित बीमा विधेयक और साथ ही वस्तु एवं सेवा कर विधेयक सरकार के ऐजेंडे में ऊपर है। कोयला अध्यादेश और टेक्सटाइल राष्ट्रीयकरण से संबंधित अध्यादेशों का स्थान लेने वाले विधेयकों को भी पारित करना सरकार की प्राथमिकता में है।

नरेन्द्र मोदी सरकार के छह महीने पहले सत्ता में आने के बाद से संसद का यह दूसरा प्रमुख सत्र है और सरकार के प्रबंधकों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आर्थिक सुधार के एजेंडे को गति दी जायेगी। विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों के सचिवों की इस सप्ताह के शुरू में वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ हुई बैठक में यह निष्कर्ष निकला था कि 24 नवम्बर से 23 दिसम्बर के बीच होने वाले इस सत्र में 39 विधेयक को या तो पेश करने के लिए या विचार एवं पारित करने के लिए तैयार रखा जा सकता है।

एक माह तक चलने वाले इस शीतकालीन सत्र में कुल 22 बैठकें होंगी जिमसें चार दिन गैर सरकारी कामकाज के लिए रखे गये हैं। संसद का यह सत्र ऐसे समय में हो रहा है जब एक सप्ताह पहले ही पुराने जनता परिवार से जुड़े विभिन्न दलों ने एक मंच पर आने और संसद के दोनों सदनों में संयुक्त रणनीति अपनाने की योजना की घोषणा की है।

इन दलों में जनता दल यूनाइटेड (जदयू), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), जनता दल सेक्युलर (जदएस), इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) और समाजवादी पार्टी शामिल हैं। इन दलों ने कहा है कि वे संसद में कारगर ढंग से अपनी ताकत का इस्तेमाल करेंगे। इन दलों के लोकसभा में तो कुलमिलाकर हालांकि पंद्रह ही सदस्य हैं लेकिन राज्यसभा में इनके 25 सदस्य हैं जो महत्व रखते हैं।

लोकसभा में कांग्रेस सबसे बड़ा विपक्षी समूह है। इसने भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर सरकार भूमि अधिग्रहण संबंधी कानून सहित संप्रग सरकार के दौरान पारित कानूनों में संशोधन लाती है तो उसकी आपत्ति हो सकती है।

राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने कुछ दलों की आपत्तियों के बावजूद शीतकालीन सत्र से प्रश्नकाल का समय पूर्वाह्न 11 बजे से बदल कर 12 बजे करने के अपने निर्णय पर आगे बढ़ने का फैसला किया है। उनके इस कदम के पीछे यह विचार है कि प्रश्नकाल के दौरान सदन की कार्यवाही सुगमता से चल सके। लेकिन लोकसभा में प्रश्नकाल का समय बदलने की कोई योजना नहीं है।

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कल रात कहा कि सर्वदलीय बैठक में किसी भी नेता ने प्रश्नकाल के लिए पूर्वाह्न 11 बजे के समय को नहीं बदले जाने के उनके रूख पर अलग विचार व्यक्त नहीं किया। सुमित्रा महाजन ने कहा कि शून्यकाल से दिन की शुरुआत करने से बचा जाना चाहिए क्योंकि अक्सर इसमें हंगामा होता है। उन्होंने सुझाव दिया कि दिन की कार्यवाही की यह अच्छी शुरुआत नहीं होगी।

महीने भर चलने वाले इस सत्र के दौरान विपक्ष द्वारा योजना आयोग को समाप्त करने की प्रस्तावित योजना और विदेशों में जमा कालेधन को वपस लाने पर सरकार के कथित यू टर्न के मुद्दे को उठाये जाने की संभावना है। गुजरात दंगों पर नानावती आयोग की रिपोर्ट, बार बार होने वाली चीनी सेना की घुसपैठ, नौसेना के जहाजों से जुड़ी दुर्घटनाओं, महाराष्ट्र के लिए विशेष पैकेज की शिवसेना की मांग और पंजाब के किसानों के लिए पैकेज की आम आदमी पार्टी की मांग का मुद्दा भी उठ सकता है।

इस सत्र में सरकार लोकपाल कानून और सीबीआई के कामकाज को संचालित करने वाले कानून में संशोधन करने की दिशा में आगे बढ़ सकती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोकपाल और सीबीआई प्रमुख के चयन से संबंधित समिति में कोरम की जरूरत न रहे।

संसद के शीतकालीन सत्र का कामकाज सुचारू रूप से चले, इसे सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लोकसभा अध्यक्ष ने शनिवार को राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक बुलायी थी। महाजन ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों ने उन्हें आश्वासन दिया है कि शीतकालीन सत्र में संसद को सुचारू रूप से चलाने में वे सहयोग देंगे।

सत्र शुरू होने से कुछ ही दिन पहले लोकसभा अध्यक्ष ने सदन में सदस्यों के बैठने की व्यवस्था के साथ ही सदस्यों के डिवीजन नम्बर आवंटित किये ताकि सदन में वोटिंग हो तो सदस्य अपनी आवंटित सीट से अपना वोट कर सकें। कांग्रेस यद्यपि लोकसभा में विपक्ष के नेता पद का दर्जा हासिल नहीं कर सकी है लेकिन सदन में उसके नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को विपक्षी बेंच की तरफ लोकसभा उपाध्यक्ष के बगल वाली सीट आवंटित की गई है जो आमतौर पर नेता प्रतिपक्ष को दी जाती है। महाजन ने हालांकि यह स्पष्ट कर दिया है कि इसका यह मतलब नहीं कि कांग्रेस नेता को विपक्ष के नेता पद का दर्जा दिया गया है।