देश की राजधानी में डेंगू का कहर जारी है। मरीजों की संख्या दो हजार के आंकड़े के करीब पहुंच चुकी है। दिल्ली में डेंगू के कारण छह साल के अमन शर्मा और एक महिला समेत 11 लोग काल के गाल में जा चुके हैं। सब तरफ हाहाकार है। पर सरकार बेबस नजर आ रही है और अस्पताल निष्ठुर।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने मंत्रियों को निर्देश दिया है कि अस्पतालों में जाएं और यह निश्चित करें कि हड़कंप न मचे। जहां मरीजों को, जिनमें नाबालिग बच्चे भी शामिल हैं, अस्पतालों की दहलीज से लौटाया जा रहा हो, इलाज की व्यवस्था न हो, वहां हड़कंप न हो तो क्या हो? जिस शहर में डेंगू के मच्छर ने दो हजार को डंस लिया हो, वहां हड़कंप न हो तो क्या हो? डेंगू का दंश दिल्ली के लिए कोई नई बात नहीं। हर साल यह कहर बरपाता है। लेकिन सरकार तभी जगती है जब हालात बेकाबू हो जाते हैं।
आम आदमी की सरकार को क्या यह तय नहीं करना चाहिए कि सावधानी में कहां चूक हुई कि डेंगू आज महामारी की तरह फैल रहा है। क्या व्यवस्था होनी चाहिए थी कि हालात इस हद तक खराब न होते। क्या लोगों में जागृति के लिए समुचित प्रयास हुए? क्या स्वास्थ्य विभाग ने सफाई की व्यवस्था की? आखिर क्यों इस मच्छर ने इस बुरी तरह से शहर को डंस लिया?
क्या सरकार के प्रयास महज बयानबाजी तक ही सीमित रहेंगे? समय रहते अगर यह सब कदम उठाए जाते तो आज स्थिति इतनी भयावह न होती। इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि उनकी सरकार आपातकालीन स्थिति के दौरान निजी अस्पतालों का अस्थाई नियंत्रण हासिल करने के वास्ते एक कानून लाने पर विचार कर रही है।
दक्षिणी दिल्ली स्थित श्रीनिवासपुरी के रहने वाले छह वर्षीय अमन शर्मा की मौत डेंगू से हो गई। उसके माता-पिता ने आरोप लगाया कि तीन निजी अस्पतालों – मैक्स साकेत, मूलचंद और बत्रा ने यह कहकर उसे भर्ती करने से इनकार कर दिया था कि उनके यहां बिस्तर नहीं हैं। रविवार को उसकी ओखला स्थित होली फैमिली अस्पताल में मौत हो गई।
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डेंगू से लोक नायक अस्पताल में 29 वर्षीय एक महिला के भी मरने की खबर है। अस्पताल अधिकारियों के अनुसार, उत्तर पश्चिमी दिल्ली की महिला सोमवार शाम अस्पताल में भर्ती हुई थी और कुछ ही मिनटों के भीतर उनकी मौत हो गई। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. योगेश कुमार सरीन ने कहा, ‘महिला को गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था। उसके पास एक अस्पताल की रिपोर्ट थी। उसके अनुसार वह डेंगू पॉजीटिव थी।’
डेंगू के मामलों के लगातार बढ़ने के बीच केजरीवाल ने गुरुतेग बहादुर अस्पताल और डॉ. हेडगेवार आरोग्य संस्थान का औचक दौरा किया और बाद में कहा कि डेंगू रोगियों का उपचार करने से इनकार करने वाले निजी अस्पतालों को बख्शा नहीं जाएगा।
दिल्ली सरकार ने डेंगू के मद्देनजर सभी स्कूलों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि बच्चे अगले एक महीने तक एहतियाती कदम के तौर पर पूरी बाजू की कमीज, फुलपैंट और सलवार कमीज पहनकर आएं।
इस संबंध में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को सभी स्कूलों को निर्देश जारी किए। यह कदम तब आया है जब दिल्ली में डेंगू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और इस साल इस महीने तक रोगियों की संख्या कम से कम 1,872 तक हो गई है ।
सिसोदिया ने स्कूलों को निर्देश दिए कि वे बच्चों को किसी भी रंग की पूरी बाजू की कमीज पहनने दें, चाहे वह स्कूल ड्रेस हो या नहीं। उन्होंने कहा, ‘माता-पिता अपने बच्चों को पूरी बाजू के कपड़ों में भेजें और सरकार सुनिश्चित करेगी कि ड्रेस के रंग को लेकर बच्चे को कोई समस्या न हो ।’ यह आदेश दिल्ली सरकार, नगर निगम संचालित, निजी स्कूलों, सहायता प्राप्त, गैर सहायता प्राप्त, सभी विद्यालयों पर लागू होगा।