Dy Chandrachud News: देश के पूर्व मुख्य जस्टिस यानी CJI डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि उन्हें देश की राजधानी दिल्ली में अभी तक कोई अच्छा घर नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि उन्हें दिल्ली में एक ऐसे घर की तलाश है, जो कि उनकी दिव्यांग बेटियों प्रियंका और माही के हिसाब से अनुकूल हो। बता दें कि सीजेआई के तौर पर चंद्रचूड़ का कार्यकाल नवंबर 2024 में खत्म हो गया था और तब से वे सरकारी घर में रह रहे थे। पूर्व सीजेआई को 30 अप्रैल तक अपना घर खाली करना है। इसलिए वे अपने लिए नया घर ढूंढ रहे हैं।
पूर्व सीजेआई ने कहा है कि उन्हें अभी अपना मनपसंद घर नहीं मिल रहा है, जिसके चलते अभी तक उनके पास कोई वैकल्पिक आवास नहीं है। दिव्यागों से जुड़े अधिकारों के एक कार्यक्रम में पूर्व सीजेआई ने कहा कि हमारी दो प्यारी बेटियां हैं, उनकी जरूरतें हैं लेकिन उनके अनुसार कोई घर नहीं मिल पा रहा है। हर पब्लिक स्पेस एक जैसा ही है।
दिव्यांगों को लेकर क्या बोले पूर्व सीजेआई
पूर्व सीजेआई ने कहा कि लंबे समय से हमारा समाज दिव्यांगों को नजरंदाज करता रहा है और यह एक तरह से उत्पीड़न की हद तक रहा है। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान कहा कि मेरी और पत्नी कल्पना दास की दो बेटियां है, प्रियंका और माही दोनों ही Nemaline Myopathy नाम के सिंड्रोम से पीड़ित हैं। इस बीमारी में मत्स्य का अच्छे से विकास नहीं हो पाता है। इस बीमारी में मसल्स का अच्छे से विकास नहीं हो पाता और इससे शरीर काफी कमजोर रहता है। यह एक जेनेरिक बीमारी है, जो अकसर जन्मजात होती है। इस दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल को लेकर भी बात की।
याद किया अपना कार्यकाल
डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि एक जज के तौर पर आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि आपके फैसले का क्या असर होगा। आपके पास 10 कारण होते हैं, कि किसी को राहत देने से इनकार कर दें, लेकिन हमें ऐसा करने के लिए सिर्फ एक अच्छे कारण की जरूरत होती है।
कार्यक्रम के दौरान पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपनी दोनों बेटियों को गोद लेने की कहानी का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उस दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट में काम कर रहा था, जब उन्हें हमने लिया। चंद्रचूड़ ने कहा कि शुरुआती दिनों में तो वे हड्डी और मांस भर थीं। उनकी मांग ने यह सोचकर उन्हें इग्नोर किया था, कि शायद उन्हे बचाना मुश्किल होगा।
डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने बेटियों को मेडिकल सहायता प्रदान की। यहां तक कि बड़ी बेटी को यह चिंता थी कि उसकी बहन का भी अच्छा इलाज हो। वह उसकी सेहत के लिए चिंतित रहती थी। उन्होंने कहा कि इन बेटियों ने उनके और पूरे परिवार के जीवन के प्रति दृष्टिकोण को बदला है।