देश की अर्थव्यवस्था में स्लोडाउन के चलते अबतक लाखों लोग बेरोजगार हो चुके हैं। अर्थव्यवस्था की डांवाडोल स्थिति के चलते कई लोगों ने आत्महत्या भी की है। ऐसा ही कुछ अक्टूबर के महीने में भी हुआ। आंध्र प्रदेश के तेनाली, गुंटूर और मंगलगिरी क्षेत्रों में अलग-अलग घटनाओं में तीन लोगों ने स्लोडाउन के चलते खुदकुशी कर ली। ऐसा माना जा रहा है कि आजीविका के लिए ये लोग कंस्ट्रक्शन क्षेत्र पर निर्भर थे और उन्हें काम नहीं मिल रहा था।

तीनों व्यक्ति कंस्ट्रक्शन सैक्टर से थे। तीनों की मौत को राज्य सरकार द्वारा रेत पर राज्य की नीति में बदलाव के कारण कंस्ट्रक्शन सैक्टर में आई मंदी से जोड़कर देखा जा रहा है। कंस्ट्रक्शन सैक्टर में सारा काम रेत के इर्द-गिर्द होता है। गुंटूर जिले में रहने वाले पीड़ित, जिसका नाम वेंकटेश था, ने फांसी लगाने से पहले एक सेल्फी वीडियो रिकॉर्ड किया था। वीडियो तीन हफ्ते पहले रिकॉर्ड किया गया था। इस वीडियो में उन्होंने कहा कि वह खुद को मार रहे हैं क्योंकि वह बेरोजगार हैं। वेंकटेश ने कहा कि उसके पास जीवन निर्वाह करने का कोई दूसरा साधन नहीं है। उनकी पत्नी, राशी के अनुसार, वेंकटेश पिछले चार महीनों से बेरोजगार थे।

वेंकटेश की पत्नी ने कहा “हमारी आजीविका का साधन केवल कंस्ट्रक्शन का बिज़नस था। मेरे पति को कोई अन्य काम नहीं आता था। हमारा एक वर्षीय बेटा भी है जो ठीक नहीं है और उसे चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है।” वेंकटेश के पड़ोसियों का कहना है कि वे जिस क्षेत्र में रहते हैं। वहां सभी पुरुष और महिलाएं कंस्ट्रक्शन से संबंधित क्षेत्रों में काम करते हैं। पड़ोसी ने कहा, “किसी के पास काम नहीं है और स्थितियां वास्तव में खराब हैं। हम सरकार से अपील करते हैं कि वह इसपर ध्यान दें।”

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने इस वीडियो को ट्वीट किया है। इस वीडियो के माध्यम से पूर्व मुख्यमंत्री ने वाईएसआर कांग्रेस पर निशाना साधा और कथित तौर पर रेत माफियाओं से सांठगांठ का आरोप लगाया है। चंद्रबाबू नायडू ने लिखा, ‘बिना काम या परिवारों के भूखे रह रहे मज़दूरों को पांच महीने से खुदकुशी करते देखना दिमाग को झकझोरने वाला है। सरकार को अब जागना चाहिए।’

वेंकटेश के अलावा तेनाली के नागा ब्रह्माजी ने इस महीने की शुरुआत में खुद को मार लिया था। ब्रह्माजी के अलावा मंगलगिरि में रहने वाले एक शख्स ने आत्महत्या कर ली थी। बता दें आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य में रेत नीति में बदलाव किया है। पिछले महीने सीएम ने नियम बदलते हुए पिछले प्रशासन की ‘मुफ्त रेत नीति’ खत्म कर दिया। इस नई नीति का नतीजा यह रहा कि रेत की खरीद में गिरावट आई, जिससे निर्माण और रियल एस्टेट दोनों क्षेत्रों पर असर पड़ा है।