कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ रहे कोरोना योद्धाओं में अब बस चालक भी जुड़ गए। विद्यार्थियों को राजस्थान के कोटा से दिल्ली पहुंचाने वाले बस चालकों में यह जज्बा देखने को मिला है। राजस्थान के कोटा से लौटे बस चालक भल्ला ने अपने अनुभव जनसत्ता से साझा किए। बलदेव भल्ला का कहना था कि पहली बार पीपीई किट पहनकर गाड़ी चलाई, जो बड़ी चुनौती की तरह थी।
वे 25 साल देश के राजमार्गों पर गाड़िया चला रहे हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली से अधिक गर्मी राजस्थान में थी। किट पहनकर गाड़ी चलाने की पाबंदी ने परेशानियों को और बढ़ा दिया। इसमे गर्मी तो लगती है लेकिन गाड़ी चलाने में भी परेशानी होती है। ज्यादा घुमावदार वाली जगहों पर अधिक सावधानी से गाड़ी चलानी पड़ी। गाड़ी के कैबिन की गर्मी भी इसमें एक बड़ी अड़चन बनी। इसके अतिरिक्त पहले ही प्रशिक्षण में सभी को बता दिया गया था कि किसी को छूना या बात नहीं करनी है। हर गाड़ी में बीस छात्र थे।
रास्ते में सब बंद था नहीं मिला पानी : कोटा से सुबह जल्दी निकले थे। पूरे सफर में कहीं भी रुकने की जगह नहीं थी। पूरे रास्ते में कहीं न पानी मिला और न होटल ढाबा। इस वजह से दिल्ली तक का सफर बिन पानी ही गुजारा। कोटा से कचौरी व सब्जी का नाश्ता भी था लेकिन उसकी गुणवत्ता अच्छी नहीं थी।
घर आते ही सबसे पहले खुद को सेनेटाइज किया : दिल्ली बस अड्डे आने के बाद सभी ने राहत की सांस ली। इसमें दिल्ली कांट्रेक्ट बस एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश सबरवाल व आॅल इंडिया लग्जरी बस एसोसिएशन के अध्यक्ष श्याम लाल गोला ने अहम भूमिका निभाई। हमें पहले ही तमाम जानकारियां व सेनेटाइजेशन के लिए मदद की। घर लौटते ही सबसे पहले खुद को सेनेटाइज किया। कुछ समय आराम किया।