डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) ने ओडिशा के चांदीपुर आईटीआर से सफलतापूर्वक दो प्रलय मिसाइलें लॉन्च की हैं। यह टेस्ट यूजर इवैल्यूएशन ट्रायल का हिस्सा है।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि चांदीपुर स्थित टेस्ट रेंज में तैनात ट्रैकिंग सेंसरों ने पुष्टि की कि दोनों मिसाइलों ने अपने तय रास्ते को चुनते हुए सभी उद्देश्यों को पूरा किया। प्रक्षेपण बिंदुओं के निकट तैनात जहाज पर लगे टेलीमेट्री सिस्टम ने अंतिम चरण की पुष्टि की।
इस मिसाइल को हैदराबाद स्थित इमारत रिसर्च सेंटर ने अन्य डीआरडीओ लैब के सहयोग से बनाया है। टेस्ट के लिए, दो डेवलपमेंट-कम-प्रोडक्शन पार्टनर्स भारत डायनामिक्स लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड के साथ सिस्टम्स को बनाया गया। ताजा टेस्ट के लिए दो प्रोडक्शन पार्टनर्स ने सिस्टम्स को एकीकृत किया।
रक्षा मंत्री ने की सराहना
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तेज गति से मिसाइलों के सफल लान्च के लिए डीआरडीओ, इंडियन एयरफोर्स, इंडियन आर्मी, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और उद्योग जगत की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रलय मिसाइल के सफल लॉन्च ने इसकी विश्वसनीयता को स्थापित कर दिया है।
डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत ने भी टीम को बधाई दी और कहा कि यह उपलब्धि यूजर्स के साथ सिस्टम को शामिल करने की त्वरित तैयारी का संकेत देती है।
क्या था बजट?
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह टेस्ट फायरिंग एक प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद की गई, जो मार्च 2015 में स्वीकृत बजट 332.88 करोड़ रुपये की लागत से शुरू किया गया था।
प्रलय की क्या है खासियत?
प्रलय एक स्वदेशी रूप से बनाई गई सॉलिड प्रोपलेंट क्वासी-बैलेस्टिक मिसाइल है जो हाई प्रिसिएशन पाने के लिए अत्याधुनिक मार्गदर्शन और नेविगेशन का इस्तेमाल करती है। यह मिसाइल विभिन्न लक्ष्यों के खिलाफ कई तरह के वारहेड ले जाने में सक्षम है।
प्रलय मिसाइल में प्रहार टैक्टिकल मिसाइल और एक्सोएटमॉस्फेरिक इंटरसेप्टर पृथ्वी डिफेंस व्हीकल के लिए डेवलप टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है।
प्रलय को कैनिस्टराइज़्ड किया गया है और इसे सतह से सतह पर इस्तेमाल के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह निर्भय, ब्रह्मोस और पिनाका जैसे अन्य रणनीतिक सिस्टम के साथ भारत की इंटीग्रेटेड रॉकेट फोर्स का एक अहम हिस्सा बनने वाला है।
