भारत ने स्वदेशी रक्षा उत्पादों के निर्माण में भी तरक्की करना शुरू कर दिया है। वैज्ञानिकों ने भारत की पैरा-ड्रॉपिंग क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक पी7 हैवी ड्रॉप सिस्टम डेवलप किया है, जो कि हेवी लिफ्ट एयरक्राफ्ट से 7 टन तक वजनी सैन्य उपकरण और जरूरत का सामान मौके पर पैराशूट के जरिए सप्लाई कर सकता है। डीआरडीओ ने यह सिस्टम पूरी तरह स्वदेशी तकनीक के जरिए विकसित किया है। इसके प्लेटफॉर्म सिस्टम का उत्पादन भारतीय कंपनी लार्सेन एंड टूब्रो (L&T) द्वारा किया जा रहा है, जबकि सामान गिराने वाले पैराशूट को ऑर्डनेंस फैक्ट्री में बनाया जा रहा है।

बता दें कि डीआरडीओ काफी लंबे समय से इस सिस्टम को बनाने की तैारी कर रहा था। पिछले करीब 5 सालों से भारत में हैवी ड्रॉप सिस्टम की टेस्टिंग जारी है। इसे कानपुर की ऑर्डनेंस पैराशूट फैक्ट्री में बने पैराशूट के जरिए टेस्ट किया गया है।

क्या है एयर ड्रॉप सिस्टम, क्या है इसकी जरूरत?
एयर ड्रॉप सिस्टम इस वक्त दुनियाभर की सेनाओं के लिए काफी अहम माना जाता है। दरअसल, युद्ध या युद्धाभ्यास के दौरान कई बार सेना को बीच में ही सैन्य आपूर्ति की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सैन्य सामग्रियों को सड़क के रास्ते पहुंचाने के बजाय आमतौर पर हवाई मार्ग के जरिए एयरलिफ्ट किया जाता है और युद्ध की लोकेशन पर बिना विमान उतारे ही पैराशूट के जरिए ड्रॉप कर दिया जाता है। इसके जरिए सेना अहम हथियारों के साथ युद्ध में जरूरी मानी जाने वाली चीजें भी टकराव के दौरान ही हासिल कर सकती हैं।

मौजूदा समय में एयर ड्रॉप सिस्टम के जरिए वजन को गिराने की एक सीमा है। हालांकि, डीआरडीओ के पी7 सिस्टम के जरिए यह सीमा 7 टन तक हो जाएगी। डीआरडीओ ने कुछ सालों पहले ही 16 टन तक वजन गिराने वाले एयर-ड्रॉप सिस्टम का भी टेस्ट किया था। इसके अलावा संस्थान लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के लिए स्पिन पैराशूट तक बना रही है, जिससे मिलिट्री साजो-सामान के साथ सैनिकों को भी युद्धस्थल तक पहुंचाया जा सके।