कोरोना की तबाही के बीच DRDO द्वारा विकसित 2-DG (डीऑक्सी डीग्लूकोज) किसी संजीवनी से कम नहीं लग रही है। केंद्र सरकार ने इसका पहला बैच (10000 डोज) लॉन्च भी कर दिया है लेकिन अब कई वैज्ञानिकों और जानकारों को कहना है कि इस ऐंटी-कोविड ड्रग का पर्याप्त ट्रायल नहीं हुआ है। वहीं सरकार का दावा है कि इस दवा के इस्तेमाल से लोग जल्दी ठीक होंगे और सांस लेने में होने वाली दिक्कत को कम किया जा सकता है।
इस दवा को जिस सिद्धांत के आधार पर बनाया गया है वही कैंसर के इलाज में भी काम आता है। 2 डीजी असल में 2 डीजी अणु का एक परिवर्तित रूप है। जानकारी के मुताबिक ट्रायल में पता चला कि 2 डीजी कोरना मरीजों के इलाज में भी कारगर है और ऐडमिट मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता भी कम करती है। दरअसल यह दवा इस ग्लूकोज एनालॉग को लेकर उसी में फंस जाएगी जिससे कि वायरस एनर्जी नहीं ले पाएगा और यह अपनी कॉपीज नहीं बना पाएगा। लेकिन जानकारों का कहना है कि इसके इस्तेमाल से पहले और ज्यादा क्लीनिकल ट्रायल और प्रमाणों की जरूरत है।
क्या है रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद से कनेक्शन?
जर्मनी, ब्राजील और अमेरिका समेत कई देशों के रिसर्च पेपर में 2डीजी की बात बताई गई लेकिन इनमें से कोई भी पेपर किसी अस्पताल के सेटअप पर आधारित नहीं था। भारत में इस दवा के जिस वर्जन को लॉन्च किया गया है उसका कनेक्शन रामदेव की पतंजलि से भी है। रीसर्चगेट पर पतंजलि के चेयरमैन आचार्य बालकृष्ण का एक रीसर्च पेपर पोस्ट किया गया था। ICMR के इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में इसे जनवरी-फरवरी 2021 में देखा गया था।
आचार्य बालकृष्ण के साथ इस रीसर्च पेपर को लिखने वालों में पल्लवी ठाकुर, नरसिंह चंद्र देव और अनुराग वार्ष्णेय शामिल थे। विवेकानंद एजुकेशन सोसाइटी के इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी के शिवम सिंह और चेन्नई के SIMATS के वाइस चांसलर राकेश कुमार शर्मा का भी नाम इस रीसर्च पेपर में हैं। ये दोनों डीआरडीओ से भी जुड़े रहे हैं। शर्मा ने एक ट्वीट में कहा था, ‘यह हमारे लिए गर्व की बात है कि बालकृष्ण के नेतृत्व में की गई 2डीजी की रिसर्च को मान्यता दी गई है।’
कोविड से ठीक होने के बाद दूसरा डोज 3 महीने के बाद, पूरा पढ़ें
2डीजी की कीमतों का ऐलान अभी नहीं किया गया है। कई जानकारों ने इसकी मंजूरी और ट्रायल पर सवाल उठाए। रिकॉर्ड बताते हैं कि डीआरएल ने 2020 में स्पीडी अप्रूवल की मांग की थी। उसके शॉर्टकट ट्रायल की वजह से सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी ने इनकार कर दिया था। महाराष्ट्र कोविड टास्क फोर्स के एक्सपर्ट मेंबर डॉ. शशांक जोशी ने कहा, ‘दवाई आकर्षक तो लगती है लेकिन इससे संबंधित ज्यादा डेटा नहीं मौजूद हैं। जब तक पर्याप्त आंकड़े नहीं मिल जाते हम इसका केवल रिसर्च मोड में इस्तेमाल करेंगे।’
दिल्ली के LNGP अस्पताल के डायरेक्टर ऑफ मेडिसिन ऐंड मेडिकल सुरेश कुमार ने कहा, हमें देखना पड़ेगा कि यह कितना अच्छा असर करती है। अभी तो सीमित केंद्रों पर ही यह दवाई मौजूद है। होली फैमिली अस्पताल के डॉ. सुमित राय ने कहा, ‘इसमें थ्योरेटिकल वैल्यू और क्लीनिकल आउटकम में कई कमियां हैं। अगर इसका अच्छी तरह फेज 3 ट्रायल होता है तो हम खुशी के साथ इसका इस्तेमाल करेंगे।’
रक्षा मंत्रालय की रिलीज में कहा गया था कि 110 मरीजों पर दूसरे चरण का ट्रायल गिया गया था। तीसरे चरण के ट्रायल में 220 मरीजों को शामिल किया गया। जिसमें देशभर के 27 कोविड अस्पताल भी शामिल थे। डीसीजीआई के सामने तीसरे चरण के ट्रायल का पूरा रेकॉर्ड रखा गया था। इसमें कहा गया था कि ट्रायल से पता चला है, यह दवा ऑक्सीजन थेरपी से जल्दी छुटकारा दिला देती है।