बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने आज आरोप लगाया कि नीतीश कुमार का खेमा यह अफवाह फैलाकर विधायकों को डराने का प्रयास कर रहा है कि वह बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू कराने के लिए भाजपा के साथ ‘‘षडयंत्र’’ कर रहे हैं। मांझी ने अपने विरोधियों पर ‘‘फर्जी’’ विधायकों की परेड कराने का भी आरोप लगाया।
मांझी ने कहा कि यह भाजपा को तय करना है कि क्या वह उन्हें (मांझी) समर्थन देना चाहती है या नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि यहां राजधानी में उन्होंने केंद्रईय मंत्रियों और बिहार के राज्यपाल से सरकारी कार्य के लिए मुलाकात की थी।
जदयू से निष्कासित हो चुके मांझी ने कहा कि जदयू और बिहार में सरकार बनाने का दावा पेश करने वाले नीतीश कुमार विधायकों को अपने पक्ष में करने के लिए यह अफवाह फैला रहे हैं कि बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू किया जायेगा। उन्होंने कहा कि उनकी इस तरह की कोई मंशा नही है।
मांझी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस अफवाह के साथ वह विधायकों को डरा रहे हैं कि मैं बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू कराने के लिए काम कर रहा हूं। यह पूरी तरह से असत्य है। अगर मैं ऐसा करना चाहता तो मैं काफी पहले इसकी सिफारिश कर देता। मैं 20 फरवरी को विश्वास मत प्राप्त करूंगा।’’ उन्होंने सभी दलों से उन्हें समर्थन देने की अपील की।
नीतीश कुमार के उस दावे के बारे में पूछे जाने पर कि उन्हें 130 विधायकों का समर्थन प्राप्त है जिन्हें साथ लेकर वे राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलने गये थे, मांझी ने कहा, ‘‘इन विधायकों में से कई फर्जी हैं।’’
जदयू मांझी को पार्टी से निष्कासित कर चुकी है। जदयू ने कल आरोप लगाया था कि मांझी भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं और राष्ट्रपति शासन लागू कराना चाहते हैं। जदयू और उसके सहयोगी दलों राजद, कांग्रेस और भाकपा ने प्रदेश में राजनीतिक अनिश्चितता के लिए राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी और भाजपा को जिम्मेवार ठहराया है। कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने जदयू सरकार को अस्थिर करने के लिए भाजपा पर षडयंत्र रचने का आरोप लगाया।
संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने हालांकि आरोपों को खारिज किया और कहा कि जनता दल (यूनाइटेड), जनता दल ‘डिवाइडेड’ है और पार्टी अपनी भूलों के लिए भाजपा पर दोष मढ़ रही है।