केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने गुरुवार को प्रकाश जावड़ेकर की अगुआई वाले पर्यावरण मंत्रालय पर जमकर निशाना साधा। मेनका ने कहा कि वह मंत्रालय के ‘जानवरों को मारने की हवस’ को समझ नहीं पा रहीं।
मेनका एक एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट भी हैं। उन्होंने कहा, ‘एनवायरन्मेंट मिनिस्ट्री यहां हर स्टेट को लिख रही है कि आप बताओ किसको मारना है, हम इजाजत दे देंगे। बंगाल में उन्होंने कह दिया कि हाथी को मारो। हिमाचल में उन्होंने कह दिया कि बंदर को मारो। गोवा में कह दिया कि मोर को मारो।…चंद्रपुर में जहां इतना अलर्ट है वहां 53 जंगली सुअर मारे हैं और 50 की और इजाजत मिली है। हालांकि, उनके अपने वाइल्डलाइफ डिपार्टमेंट ने कहा है कि हम नहीं मारना चाहते हैं। आप हमारे पीछे नहीं पडि़ए ये करने के लिए। पता नहीं क्या हवस सी आ गई है।’ मेनका ने इन घटनाओं के पीछे पर्यावरण मंत्रालय को जिम्मेदार ठहराया। पर्यावरण मंत्री की भूमिका के बारे में सवाल पूछे जाने पर मेनका ने कहा, ‘इजाजत उन्हीं को देना है। यह पहली बार हुआ है कि मिनिस्ट्री इजाजत दे रही है।’
उधर, जावड़ेकर ने इस बात पर जोर दिया कि यह जानवरों की संख्या का ‘वैज्ञानिक प्रबंधन’ है और ‘खूंखार’ घोषित किए जानवरों को मारने की इजाजत विशेष इलाकों और समयावधि के लिए होती है। जावड़ेकर ने कहा, ‘मौजूदा कानून के तहत जब किसान बहुत अधिक समस्याओं का सामना करते हैं और उनकी फसलें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाती हैं तथा जब राज्य सरकार प्रस्ताव भेजती हैं तो हम (मारने की) इजाजत देते हैं और राज्य सरकारों के एक विशेष इलाके और समयावधि संबंधी प्रस्ताव को अनुमति प्रदान करते हैं।’
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— ANI (@ANI_news) June 9, 2016
बता दें कि 14 मार्च को केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी करके हिमाचल प्रदेश में बंदरों को छह महीने के लिए हिंसक जानवर घोषित कर दिया था। इससे पहले, केंद्र को राज्य के अधिकारियों से कई बार शिकायतें मिलीं कि बंदरों की वजह से राज्य के टूरिज्म को नुकसान पहुंच रहा है। बीते साल जून महीने में जावड़ेकर ने कहा था कि किसानों और स्थानीय आबादी को नुकसान पहुंचाने वाले नीलगाय और जंगली सुअर जैसे जानवरों को मारने के लिए कुछ वक्त तक की इजाजत दी जाएगी।