पुलिस के लिए मुख्तार अंसारी भले ही हत्यारा और अपराधी हो लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता के लिए मुख्तार अंसारी रॉबिनहुड से कम नहीं है। सियासत में भी मुख्तार अंसारी कई नेताओं को चुनौती देते रहे हैं। गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी के दादा आजादी से पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनके नाम पर दिल्ली में रोड भी है और वह गांधीजी के काफी करीबी माने जाते थे। महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर उस्मान, मुख्तार अंसारी के नाना थे। पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख्तार अंसारी के चाचा लगते हैं। मुख्तार अंसारी के पिता एक कम्युनिस्ट नेता थे।
यूपी की जनता के बीच मुख्तार अंसारी इसलिए भी पसंद किए जाते हैं कि क्योंकि वह गरीब तबके के लोगों की मदद करते हैं। लोगों का कहना है कि शादी ब्याह में पैसा देना हो या किसी का मकान बनाना हो, मुख्तार अंसारी मदद करते हैं। बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी ने प्रचार के दौरान मुख्तार अंसारी पर हमला बोलते हुए कहा था कि वे जेल में रहकर भी अपने लोगों से बाहर कई कांड करवाते रहते हैं। मुख्तार अंसारी पर लगभग 40 मुकदमे हैं और वे 13 सालों से जेल में हैं। मुख्तार अंसारी का पूर्वांचल की सियासत में दबदबा इस कदर है कि वे लगातार कई सालों से विधायक रहे हैं। बता दे कि बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में मुख्तार अंसारी जेल में बंद हैं।
मुख्तार मुख्तार अंसारी के खिलाफ एक से एक संगीन मामले दर्ज हैं। आलम यह है कि मुख्तार अंसारी जेल में बंद होकर भी चुनाव जीत जाते हैं। अंसारी के आपराधिक रिकॉर्ड की बात की जाए तो 1988 में उन पर पहला आरोप लगा हत्या का लगा था।
इसके बाद माफिया डॉन बृजेश सिंह से रंजिश के चलते मुख्तार अंसारी का नाम चर्चा में आया। 1996 में मुख्तार अंसारी ने पुलिस कर्मी पर जानलेवा हमला किया। 1997 में अपहरण की बड़ी वारदात को अंजाम दिया। 2005 में हिंसा भड़काने जैसे आरोप लगे। 2012 में महाराष्ट्र सरकार ने अंसारी पर मकोका लगाया।

