कोरोनावायरस संकट के मद्देनजर एक दिन पहले ही सरकार ने आर्थिक राहत पैकेज का ऐलान कर दिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसमें गरीबों और असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए विशेष सुविधा होने की बात कही। कोरोनावायरस से फ्रंटलाइन पर लड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों और डॉक्टरों के लिए भी सरकार ने 50 लाख रुपए की बीमा राशि का ऐलान किया। इससे पहले ओडिशा सरकार ने डॉक्टरों को चार महीने का वेतन प्रोत्साहन के तौर पर एडवांस देने का ऐलान किया। वहीं बिहार सरकार ने भी एक महीने का एडवांस वेतन देने की बात कही। हालांकि, कोरोना से संघर्ष के इस नाजुक मौके पर डॉक्टरों के लिए उनके लिए इतना भी काफी साबित नहीं हो रहा है।
एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार ने प्राइम टाइम के दौरान बताया कि डॉक्टर इस वक्त अपनी सैलरी की चिंता बिल्कुल नहीं कर रहे हैं। डॉक्टर चिंता कर रहे हैं कि जब वे कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों के पास जाएं तो उनके पास विशिष्ट दस्ताने हों, चेहरा ढकने का मास्क हो, पीपीई हों, उनके पास सैनिटाइजर और डिसइन्फेक्टेंट की कमी न हो। लेकिन कई अस्पतालों में इसकी व्यवस्था नहीं है। रवीश ने बताया कि इस स्थिति में डॉक्टर खुद ही अपनी व्यवस्था करने में जुट गए हैं। पटना और नालंदा मेडिकल कॉलेज के पढ़ाई करने वाले छात्रों ने लोगों से चंदा किया, तो लोगों ने दान में कोई कमी नहीं की। मगर इस चंदे के बाद भी वे पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट की व्यवस्था नहीं कर पाए, जिसे पहन कर वे मरीजों के पास जा सकें।
हालांकि, इस पैसे से इतना इंतजाम हो गया कि सैनिटाइजर और स्प्रे करने की चीजें छात्रों ने अपने स्तर पर जुटा ली हैं। रवीश ने बताया कि एम्स के डॉक्टर रेजिडेंट एसोसिएशन लंबे समय से यह मांग उठा रहा है कि जल्द ही डॉक्टरों को पीपीई दिया जाए, जिससे वे संक्रमित न हों। इटली में अब तक 3000 के करीब नर्स इलाज के दौरान संक्रमित हुई हैं और कई डॉक्टरों की मौत हुई है।
रवीश के ही शो पर एक एम्स रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के महासचिव ने कहा, “काफी जगहों पर मास्क और पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट की काफी कमी है। इसलिए हमारी स्वास्थ्य मंत्री और टेक्सटाइल मिनिस्ट्री से रिक्वेस्ट है कि वे जल्द से जल्द सबको प्रक्रिया में शामिल करते हुए सप्लाई को जारी रखें।”