लखनऊ के बेहद व्यस्त हजरतगंज बाजार से थोड़ी ही दूर पर खंदारी बाजार स्थित है। इस बाजार की संकरी भीड़भाड़ वाली गलियों में तीन मंजिला वाली एक पीले रंग की बिल्डिंग है। इस बिल्डिंग पर पिछले तीन दिनों से मीडिया कर्मियों और पुलिस वालों का तांता लगा हुआ है। वजह यह है कि इस बिल्डिंग में ही शाहीन शाहिद अंसारी और उसका छोटा भाई परवेज अंसारी रहते थे। दोनों यहीं पले-बढ़े थे।

शाहीन और परवेज पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हाल ही में एक आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने के बाद शिकंजा कसा है।

द इंडियन एक्सप्रेस की टीम बिल्डिंग पर पहुंची और वहां का दरवाजा खटखटाया। थोड़ी देर बाद मोहम्मद शोएब नाम के एक शख्स बाहर निकल कर आए। ग्रिल के पीछे से ही शोएब ने बताया कि उनके पिता चाहते थे कि उनके बच्चे डॉक्टर बनें।

दिल्ली बम ब्लास्ट: जली हुई टांग, जूता और…

शोएब ने बताया कि उनके पिता भी सरकारी नौकरी में थे और उन्होंने शाहीन और परवेज को कोचिंग संस्थानों में एडमिशन दिलाया और दोनों ही एग्जाम में पास हो गए। शोएब तीनों भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं और ट्यूशन पढ़ाते हैं।

भाई-बहनों के संपर्क में नहीं हैं शोएब

शोएब बताते हैं कि कुछ सुरक्षा एजेंसियों ने उनसे पूछताछ की है और जो कुछ वह जानते हैं, उन्होंने उन्हें बता दिया है। शोएब ने यह भी बताया कि कुछ व्यक्तिगत मतभेदों की वजह से साल 2021 से ही वह अपने भाई-बहनों के संपर्क में नहीं हैं।

शोएब ने बताया, “मैंने लंबे वक्त से शाहीन से बात नहीं की है। पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने से पहले मुझे यह भी नहीं पता था कि वह कहां रहती थी और क्या काम करती थी।” परिवार के मुताबिक, शाहीन ने इंटरमीडिएट की पढ़ाई लखनऊ के लालबाग गर्ल्स इंटर कॉलेज से की थी जबकि परवेज ने इस्लामिया डिग्री कॉलेज से।

विदेश में भी रहे शाहीन और परवेज

शोएब ने बताया कि शाहीन और परवेज दोनों ने ही अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की और कुछ साल तक विदेश में भी रहे। उन्होंने कहा, “शाहीन 2013-14 के आसपास सऊदी अरब गई थी। वहां वह लगभग ढाई साल तक रही। परवेज 2016 में नौकरी के लिए मालदीव गया था। बाद में दोनों ही भारत लौट आए।”

शोएब बताते हैं कि शाहीन ने 2013 में आई स्पेशलिस्ट डॉक्टर जफर हयात से शादी की थी। शाहीन के दो बेटे हैं लेकिन बाद में शाहीन का तलाक हो गया। डॉक्टर जफर हयात अभी कानपुर में एक सरकारी अस्पताल में तैनात हैं।

शोएब के मुताबिक, परवेज की शादी बिहार की एक महिला से हुई है। शोएब बताते हैं कि दिसंबर 2017 में उनकी मां का निधन हुआ था और इसके बाद शाहीन का घर पर आना-जाना काफी कम हो गया। सुरक्षा एजेंसियां यह पता करने की कोशिश कर रही हैं कि शाहीन और परवेज किस-किस को जानते थे। दोनों ही 2017 में भारत लौटे थे।

अल-फलाह यूनिवर्सिटी में था उमर नबी

दिल्ली में 10 नवंबर की शाम को हुए बम धमाकों का आरोपी उमर नबी लाल किले पर विस्फोट करने वाली कार को चला रहा था। उमर नबी अल-फलाह यूनिवर्सिटी में काम करता था जबकि अल-फलाह यूनिवर्सिटी के उसके साथी डॉक्टर मुजम्मिल अहमद गनई और आदिल मजीद राथर सहारनपुर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में थे। शाहीन भी अल-फलाह यूनिवर्सिटी में काम करती थी।

पूछताछ में पता चला है कि शाहीन ‘सफेदपोश डॉक्टर्स’ के ग्रुप को आर्थिक मदद दे रही थी। दिल्ली बम धमाकों का एक और आरोपी मुजम्मिल उसकी गाड़ी का इस्तेमाल करता था। यह गाड़ी फरीदाबाद से मिली है।

दिल्ली धमाके को लेकर आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले 15 लोग असम से गिरफ्तार

कानपुर के बाद फरीदाबाद पहुंची शाहीन

एक सीनियर पुलिस अफसर ने बताया कि शाहीन ने इलाहाबाद के एसआरएन मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और एमडी किया और 2006 में यूपीपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद कानपुर की जीएसवीएम मेडिकल यूनिवर्सिटी में नौकरी शुरू की। यहां शाहीन ने फार्माकोलॉजी में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर काम किया लेकिन 2013 में उसने बिना किसी को बताए यूनिवर्सिटी छोड़ दी। बार-बार नोटिस दिए जाने पर भी वह वापस नहीं आई और फिर से नौकरी से निकाल दिया गया। इसके बाद शाहीन ने फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में ज्वाइन कर लिया।

जांच कर रहे अफसरों के मुताबिक, शाहीन पिछले 5 साल से अपने परिवार से दूर थी और लखनऊ वाले घर में काफी कम आती-जाती थी और परवेज भी घर से दूर हो गया था।

नाम लेने से बचते हैं पड़ोसी

खंदारी बाजार में शाहीन और परवेज के पड़ोसी खामोशी से इस परिवार के बारे में बातें करते हैं। जब कोई उनसे घर का रास्ता पूछता है तो वह घर के सदस्यों के नाम लेने से बचते हैं और बस इशारा करके बताते हैं कि घर कहां हैं।

‘ऐसा लगा धरती फटने वाली है, लोग एक दूसरे पर गिर रहे थे…’