देश की 47 क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों में द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) सबसे अमीर पार्टी है। वित्तीय साल 2015-16 के दौरान उसे कुल 77.63 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी। डीएमके तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी है जबकि तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) दूसरे नंबर पर है। उसे कुल 54.93 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है। तीसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) है, जिसे 2015-16 के दौरान कुल 15.97 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी। एसोसिएशन फॉक डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने क्षेत्रीय दलों के आय-व्यय का विश्लेषण कर एक रिपोर्ट जारी किया है, जिसमें यह दावा किया गया है।
एडीआर के मुताबिक इस साल 47 में से कुल 32 रिजनल पार्टियों ने ही आय-व्यय का ब्यौरा चुनाव आयोग को सौंपा था। 15 राजनीतिक दलों ने अभी तक अपना ऑडिट रिपोर्ट आयोग को नहीं सौंपा है। सभी दलों के लिए ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की आखिरी तारीख 31 अक्टूबर थी। उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल समेत जेकेएनसी, आईएनएलडी, एआईयूडीएफ, एजेएसयू, एमजीपी ने भी अपना विवरण आयोग को नहीं सौंपा है।
एडीआर के मुताबिक 2015-16 के दौरान 32 क्षेत्रीय दलों को कुल 221.48 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी। उनमें से 110 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए गए। यह कुल आमदनी का 49 फीसदी हिस्सा है। रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा खर्च करने वालों में जेडीयू, टीडीपी और आप है। बिहार की सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड ने 2015-16 के दौरान कुल 23.46 करोड़ रुपये खर्च किए जबकि आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी टीडीपी ने 13.10 करोड़ और दिल्ली की सत्ताधारी आप ने कुल 11.09 करोड़ रुपये खर्च किए।
32 में से 14 क्षेत्रीय दलों ने अपनी कुल आमदनी से ज्यादा खर्च की जानकारी आयोग को सौंपी है। इनमें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा-प्रजातांत्रिक, नीतीश की जेडीयू, अजित सिंह की आरएलडी शामिल है जिसने 2015-16 के दौरान अपनी आय का 200 फीसदी खर्च किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि डीएमके, एआईएडीएमके और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की कुल आय का 80 फीसदी हिस्सा खर्च नहीं किया जा सका।