भाजपा गठबंधन ने सीपी राधाकृष्णन को अपना उप राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया है। ऐसा कहा जा रहा है कि सभी पार्टियों के उनके साथ अच्छे रिश्ते हैं और इसी वजह से बीजेपी चाहती है कि सर्व सहमति से उन्हें उपराष्ट्रपति बनाया जाए।
अब जानकारी के लिए बता दें कि दो साल पहले जनसत्ता के सहयोगी इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए एक डीएमके नेता ने कहा था कि राधाकृष्णन एक अच्छे इंसान हैं, लेकिन पार्टी उन्होंने गलत चुन रखी है। वैसे इस समय बीजेपी के नेता भी दूसरी पार्टियों को मनाने की कोशिश में लगे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खुद मोर्चा संभाला है, कई नेताओं से बात की है।
कौन हैं सीपी राधाकृष्णन?
सीपी राधाकृष्णन का पूरा नाम चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन है। उन्होंने 31 जुलाई 2024 को महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली थी। अपनी नियुक्ति से पहले उन्होंने लगभग डेढ़ वर्ष तक झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। झारखंड के राज्यपाल के रूप में राधाकृष्णन को भारत के राष्ट्रपति द्वारा तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल के रूप में कार्यभार संभालने के लिए नियुक्त किया गया था।
चार दशकों से अधिक के अनुभव के साथ राधाकृष्णन तमिलनाडु की राजनीति और सार्वजनिक जीवन में एक सम्मानित नाम हैं। 20 अक्टूबर, 1957 को तमिलनाडु के तिरुपुर में जन्मे राधाकृष्णन ने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक के रूप में शुरुआत करने के बाद, वे 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य बने।
1996 में राधाकृष्णन को तमिलनाडु भाजपा का सचिव नियुक्त किया गया। 1998 में वे पहली बार कोयंबटूर से लोकसभा के लिए चुने गए। 1999 में वे पुनः लोकसभा के लिए चुने गए। सांसद के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कपड़ा संबंधी संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) संबंधी संसदीय समिति और वित्त संबंधी परामर्शदात्री समिति के सदस्य भी रहे। वे स्टॉक एक्सचेंज घोटाले की जांच करने वाली संसदीय विशेष समिति के सदस्य भी रहे।
राधाकृष्णन ने संभाली कई जिम्मेदारियां
2004 में राधाकृष्णन ने संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया। वे ताइवान गए पहले संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य भी थे। 2004 से 2007 के बीच राधाकृष्णन तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। इस पद पर रहते हुए उन्होंने 19,000 किलोमीटर की ‘रथ यात्रा’ की, जो 93 दिनों तक चली। यह यात्रा सभी भारतीय नदियों को जोड़ने, आतंकवाद के उन्मूलन, समान नागरिक संहिता लागू करने, अस्पृश्यता निवारण और नशीले पदार्थों के खतरे से निपटने जैसी उनकी मांगों को उजागर करने के लिए आयोजित की गई थी। उन्होंने विभिन्न उद्देश्यों के लिए दो और पदयात्राओं का नेतृत्व भी किया।
ये भी पढ़ें- बीजेपी ने सीपी राधाकृष्णन को क्यों चुना?