शिमला की संजौली मस्जिद को लेकर जिला अदालत ने गुरुवार का अपना फैसला सुना दिया है। अदालत ने मस्जिद के सभी ढांचों को पूरी तरह से गिराने का आदेश दिया है। ऐसा करके अदालत ने शिमला नगर आयुक्त के आदेश को बरकरार रखा है। इसके साथ ही अदालत ने मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी की अपील को खारिज कर दिया।
संजौली मस्जिद में कुल पांच मंजिलें हैं।
शिमला में मस्जिद को लेकर यह बवाल पिछले साल शुरू हुआ था। स्थानीय हिंदू संगठनों और आस-पास के लोगों ने आरोप लगाया था कि मस्जिद नगर निगम की अनुमति के बिना बनाई गई थी न कि वक्फ बोर्ड की जमीन पर।
कहां से शुरू हुआ शिमला मस्जिद विवाद?
इस मामले ने तब तूल पकड़ा था जब हिमाचल की कांग्रेस सरकार में मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने विधानसभा में कहा था कि बिना इजाजत के मस्जिद में अतिरिक्त निर्माण किया गया है।
अनिरुद्ध सिंह ने कहा था कि जिस जमीन पर यह निर्माण हुआ है उसका मालिकाना हक हिमाचल प्रदेश की सरकार के पास है। उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था और यह मामला राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में आ गया था।
विवाद के बीच शिमला नगर निगम के कमिश्नर की अदालत ने आदेश दिया था कि इस मस्जिद की तीन मंजिलों को गिरा दिया जाए क्योंकि ये अवैध हैं। कमिश्नर की अदालत ने वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी से कहा था कि वे दो महीने में इस आदेश को लागू करें लेकिन इस आदेश को अदालत में चुनौती दी गई थी।
फैसले को देंगे हाईकोर्ट में चुनौती
संजौली मस्जिद समिति ने कहा है कि वह अदालत के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देगी। संजौली मस्जिद का मामला शिमला की नगर आयुक्त की अदालत में लगभग 16 सालों से चल रहा था और इस मामले में 50 से ज्यादा सुनवाई हो चुकी थी।
