नैनीताल उच्च न्यायालय में यह विवाद चल रहा है। इस समय कुलाधिपति डा सत्यपाल सिंह और आर्य समाज की प्रतिनिधि सभाओं के बीच यह मामला अदालतों में है। आर्य समाज की प्रतिनिधि सभाओं ने सत्यपाल सिंह को 30 मई 2018 में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय का कुलाधिपति नियुक्ति किया था, उनका कार्यकाल पांच वर्ष के लिए था जो अगले साल 30 मई को समाप्त होना था परंतु उससे पहले आर्य प्रतिनिधि सभाओं ने कुलाधिपति पद से सत्यपाल सिंह को पिछले दिनों हटाने का फैसला लिया।
इससे पूर्व सत्यपाल सिंह ने तीनों सभाओं को अपना इस्तीफा भेज दिया और इन सभाओं ने उनका इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया परंतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने आर्य प्रतिनिधि सभाओं के फैसले को मानने से इनकार कर दिया और सत्यपाल को विश्वविद्यालय का कुलाधिपति माना। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के फैसले के खिलाफ आर्य प्रतिनिधि सभाओं ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के प्रधान सुदर्शन शर्मा ,आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा के प्रधान राधा कृष्ण आर्य और दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान धर्मपाल आर्य ने संयुक्त रूप से सत्यपाल सिंह एवं केंद्रीय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को एक जनवरी 2023 को एक पत्र भेजा था, जिसमें सत्यपाल को कुलाधिपति मानने से इनकार कर दिया।
वहीं दूसरी ओर नैनीताल हाई कोर्ट ने आदेश का अनुपालन नहीं होने पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सत्यपाल सिंह को अवमानना का नोटिस जारी किया है। इस मामले की अगली सुनवाई चार अगस्त को होगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा सत्यपाल सिंह को गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय का कुलाधिपति मान लिया गया था और इस संबंध में एक पत्र भी विश्वविद्यालय में भेजा गया था।
इस पत्र के खिलाफ गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति पद से हटाए गए प्रोफेसर रूपकिशोर शास्त्री ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। नैनीताल हाई कोर्ट ने इस मामले में जांच करने के लिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश वीके बिष्ट को पर्यवेक्षक नियुक्ति किया था और उन्होंने इस संबंध में अपनी जांच रपट भी विस्तृत रूप से बनाई थी।
रूप किशोर शास्त्री की याचिका पर नैनीताल हाई कोर्ट ने केंद्रीय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सत्यपाल सिंह को कुलाधिपति मानने के पत्र पर 15 मार्च तक अंतरिम रोक लगा दी थी। रूप किशोर शास्त्री ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि सत्यपाल सिंह ने न्यायालय की अवमानना की और न्यायालय की रोक के बाद भी सत्यपाल सिंह ने बतौर कुलाधिपति विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह की तैयारी की बैठक की। अध्यक्षता की और दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति के रूप में भाग लिया।
वहीं दूसरी ओर केंद्रीय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने यह फैसला किया है कि जिन डीम्ड विश्वविद्यालयों को आयोग पचास फीसद से ऊपर अनुदान दे रहा है, उन सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति और कुलाधिपति पद पर नियुक्ति का अधिकार भी भारत सरकार को होगा।
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय डीम्ड विश्वविद्यालय है, जिसे केंद्रीय अनुदान आयोग शत-प्रतिशत अनुदान देता है। अब ऐसे में आर्य प्रतिनिधि सभाओं के पास विश्वविद्यालय का कुलपति और कुलाधिपति नियुक्त करने का कोई अधिकार नहीं रह गया है। सूत्रों के मुताबिक आर्य प्रतिनिधि सभाओं ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को यह लिखकर दे दिया है कि उन्हें गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय चलाने के लिए आयोग से कोई अनुदान नहीं चाहिए।
वे अपनी व्यवस्था के अनुसार विश्वविद्यालय को चलाने का कार्य करेंगे। सभाओं के इस पत्र से आर्य समाज में खलबली मच गई है वहीं दूसरी ओर गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के प्रबंधन मंडल के कुछ सदस्यों ने आर्य समाज की प्रतिनिधि संस्थाओं के पदाधिकारियों की अनुपस्थिति में एक बैठक कर यह प्रस्ताव पारित कर दिया है कि उन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का फैसला मंजूर है ताकि भारत सरकार से सत्यपाल सिंह कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति और कुलाधिपति पद अपनी मनमर्जी से नियुक्ति करवा सकें। वहीं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के इस फैसले के खिलाफ आर्य समाज की तीनों सभाओं ने अदालत में जाने का फैसला किया है। इस तरह गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की लड़ाई अदालतों में फंस कर रह गई है।