Farmer Protest Dilli Chalo: एमएसपी की कानूनी गारंटी, कर्ज माफी समेत विभिन्न मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों में फूट देखने को मिल रही है। हरियाणा के प्रमुख किसान संघों ने अन्य मुद्दों के अलावा फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर पंजाब के किसान संगठनों के ‘दिल्ली चलो ‘ आंदोलन का हिस्सा नहीं बनने का फैसला किया है ।
किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम, गैर-राजनीतिक) ने शुक्रवार से दिल्ली की ओर पैदल मार्च करने की योजना बनाई है। 235 किलोमीटर का यह मार्च पंजाब के पटियाला जिले के राजपुरा निर्वाचन क्षेत्र में शंभू सीमा से शुरू होने का प्रस्ताव है। वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में किसान संगठन के राष्ट्रीय राजधानी पहुंचने तक रोजाना सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक चलने की उम्मीद है।
हरियाणा से भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि हम किसानों की मांगों का समर्थन करते हैं लेकिन उन्होंने (पंजाब के किसान नेताओं ने) हमें आंदोलन में शामिल नहीं किया। किसानों को फसलों के लिए एमएसपी दिया जाना चाहिए।
हरियाणा के किसान नेताओं ने आंदोलन के मौजूदा चरण का नेतृत्व कर रहे पंजाब के किसान नेताओं पर आरोप लगाया है कि उन्होंने आंदोलन के इस चरण में उन्हें शामिल नहीं किया और न ही उनसे सलाह ली। हरियाणा के किसान नेताओं का कहना है कि उनके पंजाब के समकक्षों को एसकेएम की एकता बनाए रखनी चाहिए थी, जिसने 2020-21 में तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ ऐतिहासिक किसान आंदोलन जीता था।
हरियाणा के किसान नेताओं ने भी सरकार को आंदोलनकारी किसानों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है। भारतीय किसान मजदूर संघ के अध्यक्ष सुरेश कोठ, जो हरियाणा से भी हैं। उन्होंने ने कहा कि इस साल फरवरी में पंजाब के किसान नेताओं के एक वर्ग द्वारा दिल्ली चलो के आह्वान के दौरान एसकेएम ने एकता के लिए छह सदस्यीय समिति बनाई थी, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
उन्होंने कहा कि हम इस आंदोलन का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन हम सरकार से आंदोलनकारियों के खिलाफ बल का प्रयोग न करने का आग्रह करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसानों के खिलाफ बल का प्रयोग किया जाता है, तो हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। एसकेएम की 30 सदस्यीय समन्वय समिति के सदस्य कोठ ने कहा कि उनका संगठन आंदोलन के मौजूदा चरण का हिस्सा नहीं है।
पगड़ी संभाल जट्टा किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष मनदीप नाथवान ने कहा कि हम संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा हैं जो आंदोलन के इस चरण का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि दिल्ली चलो’ का आह्वान करने से पहले आयोजकों को सभी किसान संगठनों से परामर्श करना चाहिए था।
नाथवान ने कहा कि किसान यूनियनों के रूप में हम किसानों की मांगों के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते हैं। अगर वे किसानों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो यह एक अच्छा कदम है।
फरवरी में पंजाब के किसान नेताओं द्वारा ‘दिल्ली चलो’ आह्वान के दौरान हरियाणा के किसान संगठन बड़े पैमाने पर आंदोलन से दूर रहे थे। हालांकि, पंजाब और हरियाणा की अंतर-राज्यीय सीमाओं पर आंदोलनकारी किसानों के खिलाफ बल प्रयोग के बाद उन्होंने मार्च निकाला था। 21 फरवरी को राज्य की सीमा पर हरियाणा पुलिस के साथ झड़प के दौरान पंजाब के किसान शुभकरण सिंह की मौत ने हरियाणा में भी आंदोलन को हवा दी थी, जिसके कारण कई विरोध प्रदर्शन हुए।
हालांकि, हरियाणा के एक किसान संगठन बीकेयू (भगत सिंह), जिसने फरवरी के आंदोलन में भी सक्रिय रूप से भाग लिया था। उसने राज्य के किसान संगठनों से ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन में भाग लेने का आग्रह किया है और इस बात पर जोर दिया है कि यह किसानों के साझा हित की लड़ाई है।
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(सुखबीर सिवाच की रिपोर्ट)