एनआरसी को लेकर देशभर में मचे बवाल के बीच कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मोदी सरकार पर चुटकी ली है। सोमवार (27 जनवरी) को उन्होंने देश में बढ़ती बेरोजगारी दर के बहाने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुझाव देते हुए कहा, ‘नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस की जगह देश में नेशनल रजिस्टर ऑफ एजुकेटेड अनइंप्लॉयड इंडियन सिटिजंस तैयार किया जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि यह एक एकजुटता का एजेंडा होगा, जबकि एनआरसी विभाजनकारी एजेंडा है।

‘NRC से पूरे देश में अशांति’: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके दिग्विजय ने ट्वीट में लिखा, ‘मेरे पास प्रधानमंत्री मोदी के लिए एक बेहद सकारात्मक सुझाव है। एनआरसी की वजह से पूरे देश में सामाजिक स्तर पर अशांति पैदा हो गई है। उन्हें शिक्षित बेरोजगार भारतीय नागरिकों का एक रजिस्टर तैयार करना चाहिए। हालांकि वह ऐसा करेंगे नहीं क्योंकि यह विभाजनकारी एजेंडा नहीं होगा। यह एकजुट करने वाला एजेंडा होगा।’

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कांग्रेस ने केंद्र सरकार को आर्थिक मंदी, नागरिकता संशोधन अधिनियम, एनपीआर (नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर) और बेरोजगारी को लेकर निशाने पर लिया है। एनआरसी एक नागरिकता रजिस्टर है जिसमें हर भारतीय नागरिक का नाम दर्ज होना है। नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत एनआरसी लागू करना अनिवार्य है। असम में एनआरसी को भारतीय नागरिकों को अवैध शरणार्थियों से अलग पहचान देने के लिए विकसित किया गया था।

असम में NRC से बाहर हुए अधिकांश लोग हिंदूः हाल ही में एनआरसी को असम में लागू किया गया था। पहली फाइनल लिस्ट में 19 लाख 6 हजार 657 लोगों का नाम लिस्ट में नहीं था। बता दें कि इस लिस्ट में शामिल नहीं हो पाए लोगों में ज्यादातर हिंदू ही हैं। गौरतलब है कि पिछले करीब दो महीनों से देशभर में नागरिकता से जुड़े इन कानूनों पर विरोध तेज हो गया है।