सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बॉब्दे ने कहा है कि उन्होंने दुष्कर्म के आरोपी से शादी के लिए नहीं कहा था। उनका कहना है कि मामले से जुड़े तथ्यों को गलत ढंग से पेश किया गया। बॉब्दे के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट हमेशा से महिलाओं का सम्मान करता है। उधर, सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी से एक अलग संदर्भ में सवाल पूछा था, लेकिन इससे जुड़े तथ्यों को गलत ढंग से पेश किया गया।

गौरतलब है कि 1 मार्च को सुप्रीम कोर्ट एक जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस मामले में महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिक प्रोडक्शन कंपनी के मुलाजिम पर नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया गया है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने आरोपी के वकील से कहा, अगर आप शादी करना चाहते हैं तो हम आपकी मदद कर सकते हैं। अगर नहीं तो आपको नौकरी से हाथ धोने के साथ जेल भी जाना पड़ेगा। आपने लड़की को बरगलाकर उसके साथ रेप किया। चीफ जस्टिस ने कहा, हम आपको मजबूर नहीं कर रहे हैं। कहीं बाद में आप कहो कि कोर्ट ने दबाव डाला था।

चीफ जस्टिस के इस कमेंट पर नारीवादी संगठनों के साथ कई अन्य लोगों ने विरोध जताया था। 5 हजार से ज्यादा लोगों ने एक याचिका पर दस्तखत करके बॉब्दे से अपने शब्द वापस लेने और माफी की मांग की थी। संगठनों का कहना था कि क्या कोर्ट शादी के जरिए रेप पीड़िता को न्याय दिलाना चाहता है। कई लेखकों और विचारकों ने भी इस मसले पर चीफ जस्टिस के कमेंट को गलत ठहराया था।

सीजेआई ने आज कहा कि उन्होंने आरोपी से शादी करने के लिए नहीं कहा था। उनका आरोपी से सवाल था कि क्या वह शादी करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोर्ट के समक्ष इससे पहले वैवाहिक दुष्कर्म का कोई मामला नहीं आया। उन्होंने साथी जजों से पूछा तो उनका भी कहना था कि ऐसा मामला उनके सामने नहीं आया। हालांकि, जब इस मामले ने तूल पकड़ा तब कोर्ट के एक अधिकारी ने कहा था कि चीफ जस्टिस के कमेंट जूडिशियल रिकॉर्ड पर आधारित थे। इसमें आरोपी की तरफ से कहा गया था कि लड़की के बालिग होने पर वह उससे शादी करेगा।