पाकिस्तानी हिन्दू शरणार्थियों को नागरिकता देने में केंद्र सरकार के सख्त नियमों के कारण बड़ी संख्या में पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी पाकिस्तान लौट रहे हैं। ये हिंदू अत्याचारों के कारण पाकिस्तान से भारत आए थे। सूत्रों के अनुसार जनवरी 2022 से जुलाई 2022 तक 334 पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी वापस पाकिस्तान चले गए हैं।
सिमंत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोधा ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए बताया, “2021 से इस साल तक करीब 1500 पाकिस्तानी हिंदू पाकिस्तान वापस जा चुके हैं। केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार की ढिलाई के कारण पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों में काफी निराशा है। इनमें से अधिकांश हिंदुओं के पास भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए धन या संसाधन नहीं हैं। इसलिए वे पाकिस्तान वापस जा रहे हैं।”
हिंदू सिंह सोधा ने कहा, “राशि खर्च करने के बाद भी उन्हें नागरिकता मिलने का यकीन नहीं है। लगभग 25,000 ऐसे पाकिस्तानी हिंदू हैं जो भारतीय नागरिकता चाहते हैं। ये पाकिस्तानी हिंदू पिछले 10 से 15 साल से यहां हैं।” 2004 और 2005 में नागरिकता देने के लिए शिविर आयोजित किए गए और लगभग 13,000 पाकिस्तानी हिंदुओं को भारतीय नागरिकता मिली। लेकिन पिछले 5 वर्षों में केवल 2000 पाकिस्तानी हिंदुओं को नागरिकता दी गई।
पाकिस्तान से विस्थापित हिंदुओं को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए मोटी रकम चुकानी पड़ती है। भारत सरकार के गृह मंत्रालय के नियम के अनुसार नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए विस्थापित पाकिस्तान के पासपोर्ट को रिन्यू कराना होगा और पासपोर्ट को आत्मसमर्पण करने के लिए पाकिस्तान दूतावास से प्रमाण पत्र भी जमा कराना होगा।
हिंदू सिंह सोधा ने कहा कि पाक दूतावास ने फीस बढ़ा दी है, जिसका भुगतान गरीब हिन्दू शरणार्थियों को करना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान दूतावास में पासपोर्ट का नवीनीकरण शुल्क 8,000 से 10,000 रुपये है। उन्होंने भारत सरकार से नए पासपोर्ट नियम और भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए पाकिस्तान के पासपोर्ट को सरेंडर करने की बाध्यता को समाप्त करने की मांग की है।
बता दें केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में ऑनलाइन नागरिकता आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत की थी। इस प्रक्रिया के तहत सात राज्यों में 16 कलेक्टरों को पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं, ईसाइयों, सिखों, पारसी, जैन और बौद्धों को नागरिकता देने के लिए ऑनलाइन आवेदन स्वीकार करने के लिए कहा गया था।