कांग्रेस सांसद धीरज साहू का कुबेर लोक देख जांच एजेंसियां हैरत में हैं। चार दिन बाद भी नोटों की गिनती पूरी नहीं हो पाई है और 136 बैन गिनने अभी भी बाकी हैं। एक तरफ नोटों का ये पहाड़ देख बीजेपी निशाना साध रही है तो वहीं दूसरी तरफ अब कांग्रेस ने अपने ही नेता से पल्ला झाड़ लिया है। जोर देकर कहा गया है कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है।

जयराम रमेश ने ट्वीट कर लिखा कि सांसद धीरज साहू के बिज़नेस से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कोई लेना-देना नहीं है। सिर्फ़ वही बता सकते हैं, और उन्हें यह स्पष्ट करना भी चाहिए, कि कैसे आयकर अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर उनके ठिकानों से इतनी बड़ी मात्रा में कैश बरामद किया जा रहा है। अब कांग्रेस ने तो पल्ला झाड़ लिया है, लेकिन बीजेपी इस पैसे को कांग्रेस का ही बता रही है और सवाल सीधे सोनिया और राहुल गांधी से पूछ रही है।

जानकारी के लिए बता दें कि अभी तक 300 करोड़ से ज्यादा का कैश जांच एजेंसी जब्त कर चुकी है। अभी भी 136 नोटों से भरे बैग गिनना बाकी है, यानी कि ये आंकड़ा और ज्यादा बड़ा होने वाला है। आलम ये चल रहा है कि मशीने खराब हो रही हैं, लोग कम पड़ रहे हैं, लेकिन धीरज साहू की दौलत खत्म होने का नाम नहीं ले रही। बताया जा रहा है कि 40 नई मशीनों का इंतजाम किया गया है, वो मशीनें भी नोटों की गिनती करने वाली हैं।

यहां ये समझना जरूरी है कि आयकर विभाग ने धीरज साहू के कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की है। इसमें ओडिशा के बोलांगीर जिले के सुदापाड़ा में सबसे अधिक कैश मिला है। इसके अलावा ओडिशा के संबलपुर और सुंदरगढ़, झारखंड के बोकारो और रांची और कोलकाता में भी छापेमारी की गई हैं जहां से भारी मात्रा में कैश मिला है। वहीं टिटिलागढ़, बौध, सुंदरगढ़, राउरकेला और भुवनेश्वर और झारखंड के रांची और बोकारो में भी छापेमारी की गई है।

अब नोटों का जो पहाड़ सामने आया है, ये उस आंकड़े से एकदम जुदा है जो खुद साहू ने चुनाव के दौरान अपनी संपत्ति बताते समय दर्ज करवाया था। असल में 2018 में राज्यसभा चुनाव के दौरान धीरज साहू की ओर से जो शपथपत्र चुनाव आयोग को दिया गया था उसमें उन्होंने अपनी कुल संपत्ति 34 करोड़ रुपये बताई थी। इतना ही नहीं उन्होंने खुद पर करीब 2.40 करोड़ का कर्ज भी बताया था। इससे पहले 2016-17 में उन्होंने अपनी आमदनी सिर्फ 1 करोड़ रुपये बताई थी।